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________________ आचारांग सूत्र प्रथम श्रुतस्कन्ध के भी पूर्वकृत असातावेदनीय कर्मवश दुःख, अातंक आदि पा जाते हैं। उन्हें भी कर्मफल अवश्य भोगने पड़ते हैं / अतः मुझे भी इनके आने पर घबराना नहीं चाहिए, समभावपूर्वक इन्हें सहते हुए कर्मफल भोगने चाहिए।' 'मवि मग्गे विरवस्त'-हिंसादि पाश्रवद्वारों से निवृत्त मुनि के लिए कोई मार्ग नहीं है, इस कथन के पीछे तीन अर्थ फलित होते हैं (1) इस जन्म में विविध परमार्थ भावनाओं के अनुप्रेक्षण के कारण शरीरादि की आसक्ति से मुक्त साधक के लिए नरक-तिर्यचादिगमन (गति) का मार्ग नहीं है - बन्द हो जाता है। (2) उसी जन्म में समस्त कर्मक्षय हो जाने के कारण उसके लिए चतुर्गतिरूप कोई मार्ग नहीं है। (3) जन्म, जरा, व्याधि और मृत्यु, चार दुःख के मुख्य मार्ग हैं। विरत और विप्रमुक्त के लिए ये मार्ग बन्द हो जाते हैं।' यहाँ पर छद्मस्थ श्रमण के लिए प्रथम और तृतीय अर्थ घटित होता है। समस्त कर्मक्षय करने वाले केवली के लिए द्वितीय अर्थ समझना चाहिए। इस प्रकार अप्रमत्त साधक संसार-भ्रमण से मुक्त हो जाता है / परिग्रह त्याग की प्रेरणा 154. आवंती केआवंती लोगंसि परिग्गहावंती, से अप्पं या बहुं वा अणु वा थलं वा चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, एतेसु चेव परिग्गहावंती। एतदेवेगेसि महाभयं भवति / लोगवित्तं च णं उवेहाए। एते संगे अविजाणतो। (क) आचा० शीला० टीका पत्रांक 186 / (ख) कर्मफल स्वेच्छा से भोगने और अनिच्छा से भोगने में बहुत अन्तर पड़ जाता है / एक प्राचार्य ने कहा है स्वकृतपरिणः नां दुर्नयानां विपाकः, पुनरपि सहनीयोऽत्र ते निगुणस्य / स्वयमनुभवताऽसौ दुःखमोक्षाय सधो, भवशतातिहेतुर्जायतेऽनिच्छतस्ते / / -खेद रहित होकर स्वकृत-कर्मों के बन्ध का विपाक अभी नहीं सहन करोगे तो फिर (कभी न कभी) सहन करना (भोगना) ही पड़ेगा। यदि वह कर्मफल स्वयं स्वेच्छा से भोग लोगे तो शीघ्र दुःख से छुटकारा हो जायगा। यदि अनिच्छा से भोगोगे तो वह सौ भषों (जन्मों) में गमन का कारण हो जाएगा। आचा० शीला टीका पत्रांक 187 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003469
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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