________________
४८
अनुयोगद्वारसूत्र उसी का विशद वर्णन करने के लिए यहां पृथक्-पृथक् अध्ययनों के नाम बताये हैं। इनका. स्पष्टीकरण इस प्रकार है
सामायिक अध्ययन सर्वसावद्ययोग की विरति का प्रतिपादक है। चतुर्विंशतिस्तव का अध्ययन चौबीस तीर्थंकरों का स्तवन—गुणानुवाद किये जाने स उत्कीर्तन रूप है।
वंदना अध्ययन मूलगुणों एवं उत्तरगुणों से संपन्न मुनियों का बहुमान करने रूप होने से गुणवत्प्रतिपत्ति अर्थाधिकार है।
प्रतिक्रमण अध्ययन मूलगुणों और उत्तरगुणों से स्खलित होने पर लगे अतिचारों का निराकरण करने वाला होने से स्खलितनिन्दा अर्थाधिकार रूप है।
___ कायोत्सर्ग नामक पांचवां अध्ययन चारित्रपुरुष के अतिचाररूपी भावव्रण की प्रायश्चित्त रूप चिकिरा करने के कारण व्रणचिकित्सा अधिकार है।
प्रत्याख्यान अध्ययन मूल और उत्तर गुणों को निरतिचार धारण करने रूप होने से गुणधारणा अर्थाधिकारात्मक है।
यद्यपि कृत प्रतिज्ञानुसार आवश्यक, श्रुत और स्कन्ध के अनन्तर अध्ययन का निक्षेप किया जाना चाहिए था, किन्तु वक्ष्यमाण 'निक्षेप-अनुयोगद्वार' में निक्षेप किये जाने से यहां मात्र अध्ययनों के नामों का उल्लेख किया है। अनुयोगद्वार-नामनिर्देश
७५. तत्थ पढमज्झयणं सामाइयं । तस्स णं इमे चत्तारि अणुओगद्दारा भवंति । तं जहा—उवक्कमे १ णिक्खेवे २ अणुगमे ३ णए ४ । [७५] इन (छह अध्ययनों) में से प्रथम सामायिक अध्ययन के यह चार अनुयोगद्वार हैं१. उपक्रम, २. निक्षेप, ३. अनुगम, ४. नय।
विवेचन–'एक्केक्कं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि' के निर्देशानुसार सूत्रकार ने सामायिक सम्बन्धी विचारणा प्रारम्भ की है।
सामायिक के प्रथम उपन्यास का कारण यह है कि सामायिक समस्त चारित्रगुणों का आधार और मानसिक, शारीरिक दुःखों के नाश तथा मुक्ति का प्रधान हेतु है।
सामायिक की नियुक्ति– समस्य आय: समायः प्रयोजनमस्येति सामायिकम् सर्वभूतों में आत्मवत् दृष्टि से संपन्न राग-द्वेष रहित आत्मा के (समभाव रूप) परिणाम को सम और इस सम की आय-प्राप्ति या ज्ञानादि गुणोत्कर्ष के साथ लाभ को समाय कहते हैं। यह समाय ही जिसका प्रयोजन है, उसका नाम सामायिक है।
____ अनुयोग- अध्ययन के अर्थ का कथन करने की विधि का नाम अनुयोग है। अथवा सूत्र के साथ उसका अनुकूल अर्थ स्थापित करना अनुयोग है।
उपक्रम- निक्षेप करने योग्य बनाने की रीति से दूरस्थ वस्तु का समीप लाना–प्रतिपादन करना। अथवा गुरु के जिस वचन-व्यापार द्वारा अथवा विनीत शिष्य के विनयादि गुणों से वस्तु निक्षेपयोग्य की जाती है उसे उपक्रम कहते हैं।