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________________ ४३६ निर्युक्त्यनुगम और ३. सूत्रस्पर्शिकनिर्युक्त्यनुगम। विवेचन — निर्युक्त्यनुगम के तीन भेदों का विस्तार से आगे वर्णन करते हैं। निक्षेपनिर्युक्त्यनुगम ६०३. से किं तं निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे ? निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे अणु । [६०३ प्र.] भगवन्! निक्षेपनिर्युक्त्यनुगम का क्या स्वरूप है ? [६०३ उ.] आयुष्मन्! (नाम स्थापना आदि रूप) निक्षेप की नियुक्ति का अनुगम पूर्ववत् जानना चाहिए। मैं निक्षेपनिर्युक्ति- अनुगम का स्वरूप पूर्ववत् जानने का संकेत किया है। जिसका आशय विवेचन — सूत्र यह है —— अनुयोगद्वारसूत्र नाम-स्थापनादि रूप निक्षेप की नियुक्ति के अनुगम को अथवा निक्षेप की विषयभूत बनी हुई नियुक्ति के अनुगमको निक्षेपनिर्युक्त्यनुगम कहते हैं। तात्पर्य यह है कि पहले आवश्यक और सामायिकादि पदों की नाम, स्थापनादि निक्षेपों द्वारा जो और जैसी व्याख्या की गई है, वैसी ही व्याख्या निक्षेपनिर्युक्त्यनुगम में की जाती है। उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम ६०४. से किं तं उवघायनिज्जुत्तिअणुगमे ? उवघायनिज्जुत्तिअणुगमे इमाहिं दोहिं गाहाहिं अणुगंतव्वे । तं जहा— उद्देसे १ निद्देसे य २ निग्गमे ३ खेत्त ४ काल ५ पुरिसे य६ । कारण ७ पच्चय ८ लक्खण ९ णये १० समोयारणा ११ ऽणुमए १२ ॥ १३३ ॥ किं १३ कइविहं १४ कस्स १५ कहिं १६ केस १७ कहं १८ किच्चिरं हवइ कालं १९ कइ २० संतर २१ मविरहितं २२ भवा २३ ऽऽगरिस २४ फासण २५ निरुत्ती २६ ॥ १३४॥ सेतं उघायनिज्जुत्तिअणुगमे । [६०४ प्र.] भगवन्! उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम का क्या स्वरूप है ? २३. [६०४ उ.] आयुष्मन्! उपोद्घातनिर्युक्तिअनुगम का स्वरूप गाथोक्तक्रम से इस प्रकार जानना चाहिए— १. उद्देश, २. निर्देश, ३ . निर्गम, ४. क्षेत्र, ५. काल, ६. पुरुष, ७. कारण, ८. प्रत्यय, ९. लक्षण, १०. नय, ११. समवतार, १२. अनुमत, १३. किम - क्या, १४. कितने प्रकार का, १५. किसको, १६. कहां पर, १७. किसमें, १८. किस प्रकार — कैसे, १९. कितने काल तक, २०. कितनी, २१. अंतर (विरहकाल), २२. अविरह (f (निरन्तरकाल), भव, २४. आकर्ष, २५. स्पर्शना और २६. नियुक्ति । अर्थात् इन प्रश्नों का उत्तर उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम रूप है। विवेचन — प्रस्तुत सूत्र में उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम करने सम्बन्धी प्रश्नों का उल्लेख किया है—
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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