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प्रमाणाधिकारनिरूपण
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[४३६ उ.] आयुष्मन्! ज्ञानगुणप्रमाण चार प्रकार का कहा गया है—१. प्रत्यक्ष, २ . अनुमान, ३. उपमान और
४. आगम ।
विवेचन — सूत्र में जीवगुणप्रमाण के प्रथम भेद ज्ञानगुणप्रमाण के चार भेदों का नामोल्लेख किया है। जिनका अब विस्तार से वर्णन करते हैं।
प्रत्यक्षप्रमाणनिरूपण
४३७. से किं तं पच्चक्खे ?
पच्चक्खे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा — इंदियपच्चक्खे य णोइंदियपच्चक् य ।
[४३७ प्र.] भगवन्! प्रत्यक्ष का क्या स्वरूप है ?
[४३७ उ.] आयुष्मन् ! प्रत्यक्ष के दो भेद हैं । यथा —— इन्द्रियप्रत्यक्ष और नोइन्द्रियप्रत्यक्ष ।
४३८. से किं तं इंदियपच्चक्खे ?
इंदियपच्चक्खे पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा — सोइंदियपच्चक्खे चक्खुरिंदियपच्चक्खे घाणिदियपच्चक्खे जिब्भिदियपच्चक्खे फासिंदियपच्चक्खे । से तं इंदियपच्चक्खे ।
[४३८ प्र.] भगवन् ! इन्द्रियप्रत्यक्ष किसे कहते हैं ?
[४३८ उ.] आयुष्मन्! इन्द्रियप्रत्यक्ष पांच प्रकार का कहा है । यथा - १. श्रोत्रेन्द्रियप्रत्यक्ष, २. चक्षुरिन्द्रियप्रत्यक्ष, ३. घ्राणेन्द्रियप्रत्यक्ष, ४. जिह्वेन्द्रियप्रत्यक्ष और ५. स्पर्शनेन्द्रियप्रत्यक्ष |
इस प्रकार यह इन्द्रियप्रत्यक्ष है।
४३९. से किं तं णोइंदियपच्चक्खे ?
णोइंदियपच्चक्खे तिविहे प० । तं० ओहिणाणपच्चक्खे मणपज्जवणाणपच्चक्खे केवलणाणपच्चक्खे । से तं णोइंदियपच्चक्खे । से तं पच्चखे ।
[४३९ प्र.] भगवन् ! नोइन्द्रियप्रत्यक्ष का क्या स्वरूप है ?
[४३९ उ.] आयुष्मन्! नोइन्द्रियप्रत्यक्ष तीन प्रकार का कहा गया है—१. अवधिज्ञानप्रत्यक्ष, २. मनः पर्यवज्ञानप्रत्यक्ष, ३. केवलज्ञानप्रत्यक्ष । यही प्रत्यक्ष का स्वरूप है।
विवेचन— उक्त प्रश्नोत्तरों में भेद सहित प्रत्यक्षप्रमाण का स्वरूप बतलाया है।
प्रत्यक्ष शब्द में प्रति+अक्ष ऐसे दो शब्द हैं। अक्ष शब्द का व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है- 'अक्ष्णोति ज्ञानात्मना व्याप्नोति जानातीत्यक्षः आत्मा ।' अर्थात् अक्ष जीव आत्मा को कहते हैं, क्योंकि जीव ज्ञान रूप से समस्त पदार्थों को व्याप्त करता है—जानता है । जो ज्ञान साक्षात् आत्मा से उत्पन्न हो, जिसमें इन्द्रियादि किसी माध्यम की अपेक्षा न हो, वह प्रत्यक्ष कहलाता है ।
यद्यपि ' अक्षं-अक्षं प्रतिगतम् ' — ऐसी भी व्युत्पत्ति प्रत्यक्ष शब्द की हो सकती है, लेकिन वह युक्तिसंगत नहीं है, क्योंकि ऐसी व्युत्पत्ति करने में अव्ययीभाव समास होता है और अव्ययीभाव समास से बना शब्द सदा नपुंसकलिंग में होता है । तब 'प्रत्यक्षो बोधः, प्रत्यक्षा बुद्धिः प्रत्यक्षं ज्ञानम्' इस प्रकार से त्रिलिंगता प्रत्यक्ष शब्द