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अनुयोगद्वारसूत्र का उसी से गुणा करने पर १८४४६७४४०७३७०९५५१६१६ राशि हुई, यह छठा वर्ग हुआ। इस छठे वर्ग का पूर्वोक्त .. पंचम वर्ग के साथ गुणा करने पर निष्पन्न राशि जघन्य पद में मनुष्यों की संख्या की बोधक है। यह राशि अंकों में इस प्रकार है-७९२२८१६२५१४२६४३३७५९३५४३९५०३३६ । इन अंकों की संख्या २९ है, अत: २९ अंक प्रमाण राशि से गर्भज मनुष्यों की संख्या कही गई है।
__ये उनतीस अंक कोटाकोटि आदि के द्वारा कहा जाना कठिन है, अतः इसका बोध कराने के लिए उक्त संख्या दो गाथाओं द्वारा इस प्रकार कही जा सकती है
छत्तिन्नि तिन्नि सुन्नं पंचेव य नव य तिन्नि चत्तारि । पंचेव तिण्णि नव पंच सत्त तिन्नेव तिन्नेव । १। चउ छ हो चउ एक्को पण दो छक्के क्कगो य अद्वैव ।
दो-दो नव सत्तेव य अंकट्ठाणा पराहुत्ता । २। उक्त २९ अंकों को इस रीति से बोला जा सकता है
सात कोडाकोडी-कोडाकोडी, बानवै लाख कोडाकोडी कोडी, अट्ठाईस हजार कोडाकोडी कोडी, एक सौ कोडाकोडी कोडी, बासठ कोडाकोडी कोडी, इक्यावन लाख कोडाकोडी, बयालीस हजार कोडाकोडी, छहसौ कोडाकोडी, तेतालीस कोडाकोडी, सैंतीस लाख कोडी, उनसठ हजार कोडी, तीन सौ कोडी, चौपन कोडी, उनतालीस लाख पचास हजार तीनसौ छत्तीस।
इसी संख्या को प्रकारान्तर से समझाया गया है कि मनुष्यों के औदारिकशरीर छियानवै छेदनकदायी प्रमाण हैं। जो आधी-आधी करते-करते छियानवें बार छेदन को प्राप्त हो और अंत में एक बच जाये, उसे छियानवें
दो य सया छण्णउया पंचमवग्गो समासओ होइ । एयस्स कतो वग्गो छ8ो जो होई तं वोच्छं । २।
-प्रज्ञापना मलयवृत्ति पत्रांक २८ लक्खं कोडाकोडी चउरासी इ भवे सहस्साई । चत्तारि य सत्तट्ठा होंति सया कोडकोडीणं । ३। चउयालं लक्खाई कोडीणं सत्त चेव य सहस्सा ।। तिणि सया सत्तयरी कोडीणं हंति नायव्वा । ४। पंचाणउई लक्खा एकावन्नं भवे सहस्साई । छसोल सुत्तरसया एसो छटो हवइ वग्गो । ५॥
-प्रज्ञापना मलयवृत्ति पत्रांक २८ इन गाथाओं में निर्दिष्ट अंकों की 'अंकानां वामतो गति' के अनुसार विपरीत क्रम से गणना करना तथा आगे भी यही नियम जानना चाहिए। २. (क) अनुयोगद्वार मलधारीय वृत्ति पत्रंक २०६ (ख) छ-ति-ति-सुं-पण-नव-ति-च-प-ति-ण-प-स-ति-ति-चउ-छ-दो । च-ए-प-दो-छ-ए-अ-बे-वे-ण-स
पढमक्खरसंतियट्ठाणा ॥
-प्रज्ञापना मलयवृत्ति पत्रांक २८१