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________________ २९२ अनुयोगद्वारसूत्र पंचेन्द्रियतिर्यंचों की स्थिति ३८७. (१) पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तिण्णि पलिओवमाई । [३८७-१ प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की बताई है ? [३८७-१ उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है। विवेचन— उक्त प्रश्नोत्तर में सामान्य से तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का निर्देश किया है, लेकिन जलचर, स्थलचर और खेचर के भेद से पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव तीन प्रकार के हैं और ये तीनों प्रकार भी प्रत्येक सम्मूछिम तथा गर्भज के भेद से दो-दो प्रकार के हैं। अतएव अब इन प्रत्येक की स्थिति का पृथक्-पृथक् कथन करते हैंजलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचों की स्थिति (२) जलचरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी । सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं .. पुव्वकोडी। अपजत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोयमा ! जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतो० । . पजत्तयसम्मच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा । ___ गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी। ___ अपजत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० अंतो० । पजत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोयमा ! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा । [३८७-२ प्र.] भगवन् ! जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितनी कही गई है ? · [३८७-२ उ.] गौतम ! उनकी जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण की होती है तथा सम्मूछिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीव की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि वर्ष की होती है। अपर्याप्तक सम्मूछिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है। पर्याप्तक सम्मूछिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण और उत्कृष्ट
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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