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प्रमाणाधिकारनिरूपण
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[प्र.] भगवन् ! बादर तेजस्कायिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ?
[उ.] गौतम ! बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति तीन रात्रि-दिन की होती है। __ [प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का कालप्रमाण कितना
[उ.] गौतम ! उनकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। [प्र.] भगवन् ! पर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की स्थिति कितनी होती है ?
[उ.] गौतम ! पर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून तीन रात्रि-दिन की होती है।
(४) वाउकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तिण्णि वाससहस्साई ।
सुहुमवाउकाइयाणं ओहियाणं अपजत्तयाणं पज्जत्तयाण य तिण्ह वि जह० अंतो० उक्को० अंतोमुहत्तं ।
बादरवाउकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिण्णि वाससहस्साई । अपजत्तयबादरवाउकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।
पजत्तयबादरवाउकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिणि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई।
[३८५-४ प्र.] भगवन् ! वायुकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की होती है ?
[३८५-४ उ.] गौतम ! वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन हजार वर्ष की होती है। किन्तु सामान्य रूप में सूक्ष्म वायुकायिक जीवों की तथा उसके अपर्याप्त और पर्याप्त भेदों की जघन्य. और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण होती है।
गौतम ! बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति तीन हजार वर्ष की होती है।
अपर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का प्रमाण अन्तर्मुहूर्त है। और
गौतम ! पर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त न्यून तीन हजार वर्ष की है।
(५) वणस्सइकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० दसवाससहस्साइं ।
सुहुमाणं ओहियाणं अपजत्तयाणं पजत्तयाण य तिण्हि वि जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।
- बादरवणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! जह० अंतो० उक्को० दस वाससहस्साइं, अपज्जत्तयाणं जाव गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।
पज्जत्तयबादरवणस्सइकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तूणाई।