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मनुष्यों की अपेक्षा जानना चाहिए।
दिगम्बरपरम्परा के ग्रन्थों में मनुष्यगति सम्बन्धी शरीरावगाहना का प्रमाण क्षेत्रापेक्षा और सुषमासुषमा आदि कालों की अपेक्षा से भी पृथक्-पृथक् बतलाया है । ज्ञातव्य होने से उसको यहां उद्धृत करते हैं । भरतादि क्षेत्रों तथा भूमि की अपेक्षा अवगाहना का प्रमाण इस प्रकार हैगणना - २००० धनुष का एक कोस
-
अधिकरण
क्रम
१.
२.
३.
४.
५.
६.
कालनिर्देश
१.
क्षेत्रनिर्देश
भरत, ऐरवत
हैमवत, हैरण्यवत
हरि, रम्यक
विदेह
देवकुरु, उत्तरकुरु
अन्त
जघन्य
सुषमासुषमा ४००० धू
२००० ध.
सुषमा सुषमादुषमा ५२५ ध.
दुषमासुषमा ७ हाथ
दुषमा
दुषमादुषमा
भूमिनिर्देश
कर्मभूमि
जघन्य भोगभूमि मध्यम भोगभूमि
३ या ३.१ / २ हाथ १ हाथ
उत्तम कर्मभूि
उत्तम भोगभूमि
भोगभूमि
छह आरों की अपेक्षा मनुष्यों की अवगाहना
अवसर्पिणी
कालनिर्देश
उत्कृष्ट
६००० ध.
४००० ध.
अवगाहना
जघन्य
३१ / २ हाथ
५२५, ५०० धनुष
२००० धनुष
५०० धनुष
४००० धनुष
५०० धनुष
२००० ध.
५२५ ध.
७ हाथ ३ या ३.१/२ हाथ
जघन्य
अनुयोगद्वारसूत्र
उत्कृष्ट
५२५ धनुष २००० धनुष
४००० धनुष
दुषमादुषमा १ हाथ
दुषमा
३ या ३.१/२ हाथ दुषमासुषमा ७ हाथ
सुषमादुषमा
५२५ धनुष
२००० धनुष
सुषमा सुषमासुषमा ४००० धनुष
इस प्रकार से मनुष्यों की अवगाहना बतलाने के बाद भवनपति देवों का वर्णन पूर्व में कर दिये जाने से अब देवगति के वाणव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक निकाय के देवों की अवगाहना का निरूपण किया जाता है। वाण - व्यंतर और ज्योतिष्क देवों की अवगाहना
३५३. वाणमंतराणं भवधारणिज्जा उत्तरवेउव्विया य जहा असुरकुमाराणं तहा भाणियव्वं ।
५०० धनुष
६००० धनुष
२००० धनुष
उत्सर्पिणी
उत्कृष्ट
३ या ३.१/२ हाथ
७ हाथ
५२५ धनुष
२००० धनुष
४००० धनुष
६००० धनुष
आधार — मूलाचार १०६३, १०८७, सर्वार्थसिद्धि ३/२९ - ३१, तत्त्वार्थराजवार्तिक ३/२९-३१, धवला ४ / १, ३, २/४५, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ११ / ५४, तत्त्वार्थसार २ / १३७
२. आधार — तिलोयपण्णत्ति ४/३३५, ३९६, ४०४, १२७७, १४७५, १५३६, १५६४, १५६८, १५७६, १५९५, १५९७, १५९८, १६००, १६०१, १६०२, १६०४ गाथायें ।