________________
प्रमाणाधिकारनिरूपण
२५३
[३५०-१ प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों की अवगाहना कितनी है ?
[३५०-१ उ.] गौतम ! (सामान्य रूप से) द्वीन्द्रिय जीवों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट बारह योजन प्रमाण है।
अपर्याप्त (द्वीन्द्रिय जीवों) की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है।
पर्याप्त (द्वीन्द्रिय जीवों) की जघन्य शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट बारह योजन प्रमाण है।
विवेचन- द्वीन्द्रिय जीवों की अवगाहनावर्णन के प्रसंग में पर्याप्त द्वीन्द्रिय जीव की उत्कृष्ट अवगाहना बारह योजन प्रमाण बतलाई है, वह स्वयंभूरमणसमुद्र में उत्पन्न शंखों आदि की अपेक्षा से जानना चाहिए।
किसी-किसी प्रति में द्वि-त्रि-चतुरिन्द्रिय पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवों की जघन्य अवगाहना अंगुल के संख्यातवें भाग की लिखी है, यह चिन्तनीय है। त्रीन्द्रिय जीवों की शरीरावगाहना
(२) तेइंदियाणं पुच्छा गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं; अपज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभाग; पजत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई ।
[३५०-२ प्र.] भगवन् ! त्रीन्द्रिय जीवों की अवगाहना का मान कितना है ?
[३५०-२ उ.] गौतम ! सामान्यत: त्रीन्द्रिय जीवों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है और उत्कृष्ट तीन गव्यूत की है।
अपर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है।
त्रीन्द्रिय पर्याप्तकों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट अवगाहना तीन गव्यूत प्रमाण है।
विवेचन- पर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवों की बताई गई तीन गव्यूत प्रमाण उत्कृष्ट अवगाहना अढ़ाई द्वीप (जम्बूद्वीप, धातकीखंड और अर्धपुष्कर द्वीप) के बाहर के द्वीपों में रहने वाले कर्णशृगाली आदि त्रीन्द्रिय जीवों की अपेक्षा जानना चाहिए। चतुरिन्द्रिय जीवों की शरीरावगाहना
(३) चउरिदियाणं पुच्छा गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेतिभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं; अपजत्तयाणं जहन्नेणं उक्कोसेणं वि अंगुलस्स असंखेजइभाग; पजत्तयाणं पुच्छा, जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई ।
[३५०-३ प्र.] भगवन् ! चतुरिन्द्रिय जीवों की अवगाहना कितनी है ?
[३५०-३ उ.] गौतम ! औधिक रूप से चतुरिन्द्रिय जीवों की जघन्य शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट चार गव्यूत प्रमाण है।