________________
२४२
अनुयोगद्वारसूत्र
परमाणु के उपर्युक्त स्वरूप-निर्देश से यह स्पष्ट है कि परमाणु परम-अणु रूप है। उसके भेद नहीं हैं, लेकिन सामान्य जनों को समझाने के लिए वीतराग विज्ञानियों ने परमाणु के उपाधिकृत भेदों की कल्पना इस प्रकार की है--- सूक्ष्म-व्यावहारिक, २. कारणरूप-कार्यरूप।
सूक्ष्म और व्यावहारिक परमाणु के विषय में विस्तार से आगे विचार किया जा रहा है। अतः यहां शेष भेदों के लक्षणों का ही निर्देश करते हैं
कारणरूप-कार्यरूप परमाणु- जो पृथ्वी, जल, तेज और वायु इन चार धातुओं का हेतु है, वह कारणपरमाणु और स्कन्ध से पृथक् हुए अविभागी अन्तिम अंश को कार्यपरमाणु कहते हैं। अथवा स्कन्ध के विघटन से उत्पन्न होने वाला कार्यपरमाणु है और जिन परमाणुओं के मिलने से कोई स्कन्ध बने वह कारणपरमाणु है।
___ परमाणु के उपर्युक्त औपाधिक भेदों में से अब सूक्ष्म और व्यावहारिक परमाणु के विषय में विचार करते हैं
___ कारण के बिना कार्य नहीं होता और परमाणुजन्य कार्य स्कन्ध प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होने से सूक्ष्म परमाणु है तो अवश्य किन्तु वह प्रकृत में अनुपयोगी है। अतएव उसके अस्तित्व को स्वीकार करके भी उसे स्थापनीय मानकर अनन्तानन्त सूक्ष्म पुद्गल-परमाणुओं के एकीभाव रूप संयोग से उत्पन्न होने वाले व्यावहारिक परमाणु का विवेचन करते हैं। व्यावहारिक परमाणु
३४३. (१) से णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा । हंता ओगाहेज्जा । से णं तत्थ छिज्जेज वा भिजेज वा ? नो इणढे समठे, नो खलु तत्थ सत्थं कमति ।
[३४३-१ प्र.] भगवन् ! व्यावहारिक परमाणु तलवार की धार या छुरे की धार को अवगाहित कर सकता है ?
[३४३-१ उ.] आयुष्मन् ! हाँ, कर सकता है। [प्रश्न] तो क्या वह उस (तलवार या छुरे से) छिन्न-भिन्न हो सकता है ? [उत्तर] यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् ऐसा नहीं होता। शस्त्र इसका छेदन-भेदन नहीं कर सकता। विवेचन- पुद्गल द्रव्य के परमाणु और स्कन्ध ये दो मुख्य भेद हैं। प्रकारान्तर से छह भेद भी होते हैं१. स्थूल-स्थूल-मिट्टी, पत्थर, काष्ठ आदि ठोस पदार्थ। २. स्थूल-दूध-दही, पानी, तेल आदि तरल पदार्थ। ३. स्थूल-सूक्ष्म- प्रकाश, उष्णता आदि।
४. सूक्ष्म-स्थूल- वायु-वाष्प आदि। - ५. सूक्ष्म-कर्मवर्गणा आदि। १. नियमसार तात्पर्यवृत्ति २५