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अनुयोगद्वारसूत्र
[३०३ उ.] आयुष्मन् ! दौष्यिक, सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैचारिक, भांडवैचारिक, कौलालिक ये सब कर्मनिमित्तज नाम हैं।
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विवेचन — सूत्र में कर्म तद्धितज नाम के उदाहरण दिये हैं। कर्म शब्द का प्रयोग यहां पण्य—बेचने योग्य पदार्थ अर्थ में हुआ है । यथा— दूष्यं पण्यमस्येति दौष्यिक : - वस्त्र को बेचने वाला । इसी प्रकार सूत बेचने वाले वाला सौत्रिक आदि का आशय जानना चाहिए। ये दौष्यिक आदि शब्द 'तदस्य पण्यं' सूत्र से ठक् प्रत्यय होकर 'ठस्येकः' ठ के स्थान पर इक् और आदि में वृद्धि होने से बने हैं।
पाठभेद — प्रस्तुत सूत्र में किन्हीं - किन्हीं प्रतियों में पाठभेद भी पाया जाता है, जो इस प्रकार है'तणहारए कट्ठहारए पत्तहारए दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवे आलिए कोलालिए.......।'
विशिष्ट शब्दों का अर्थ —दोस्सिए—–— दौष्टिक — वस्त्र का व्यापारी, सोत्तिए — सौत्रिक सूत का व्यापारी, कप्पासिए—कार्पासिक—–— कपास का व्यवसायी, सुत्तवेतालिए— सूत्रवैचारिक — सूत बेचने वाला, भंडवेतालिए— भांडवैचारिक–बर्तन बेचने वाला, कोलालिए— कौलालिक — मिट्टी के पात्र बेचने वाला ।
शिल्पनाम
३०४. से किं तं सिप्पनामे ?
सिप्पनामे तुणिए तंतुवाइए पट्टकारिए उव्वट्टिए वरुंटिए मुंजकारिए कट्टकारिए छत्तकारिए बज्झकारिए पोत्थकारिए चित्तकारिए दंतकारिए लेप्पकारिए सेलकारिए कोट्टिमकारिए । से तं सिप्पना ।
[३०४ प्र.] भगवन् ! शिल्पनाम का क्या स्वरूप है ?
[३०४ उ.] आयुष्मन् ! तौन्निक तान्तुवायिक पाट्टकारिक औद्वृत्तिक वारुंटिक मौञ्जकारिक, काष्ठकारिक छात्रकारिक बाह्यकारिक पौस्तकारिक चैत्रकारिक दान्तकारिक लैप्यकारिक शैलकारिक कौट्टिमकारिक । यह शिल्पनाम है।
विवेचन —— सूत्र में शिल्पकला के आधार से स्थापित कुछ नामों का संकेत किया है। इसमें 'शिल्पम् ' सूत्र से तद्धित प्रत्यय ठक् हुआ है और ठक् को इक् आदि होने का विधान पूर्ववत् जानना चाहिए।
सूत्रगत कतिपय शब्दों के अर्थ — तुण्णिए— तौनिक — रफू करने वाला शिल्पी, तंतुवाए –— तान्तु - वायिक—जुलाहा, पट्टकारिए – पट्ट बनाने वाला शिल्पी, उव्वट्टिए— औवृत्तिक—–— पीठी आदि से शरीर के मैल को दूर करने वाला शिल्पी नाई, वरुंटिए — वारुंटिक —— एक शिल्प विशेष जीवी, मुंजकारिए— मौञ्जकारिक— मूंज की रस्सी बनाने वाला शिल्पी, कट्टकारिए काष्ठकारिक —— बढ़ई, छत्तकारिए — छात्रकारिक — छाता बनाने वाला शिल्पी, बज्झकारिए बाह्यकारिक — रथ आदि बनाने वाला शिल्पी, पोत्थकारिए— पौस्तकारिक जिल्दसाज, चित्तकारिए— चैत्रकारिक — चित्र बनाने वाला शिल्पी, दंतकारिए – दान्तकारिक — दांत बनाने वाला शिल्पी, लेप्पकारिए— लैप्यकारिक — मकान बनाने वाला शिल्पी, सेलकारिए— शैलकारिक —–पत्थर घड़ने वाला शिल्पी, कोट्टिमकारिए—–— कौट्टिमकारिक खान खोदने वाला शिल्पी ।