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________________ २१२ अनुयोगद्वारसूत्र तीर्थकाक, वन में हस्ती वनहस्ती, वन में वराह वनवराह, वन में महिष वनमहिष, वन में मयूर वनमयूर। यह तत्पुरुषसमास है। विवेचन— उदाहरणों के द्वारा तत्पुरुषसमास का स्वरूप बताया है। जिसका फलितार्थ यह है इसमें अन्तिम पद प्रधान होता है और प्रथम पद प्रथमा विभक्ति से भिन्न किसी दूसरी विभक्ति का होता है। इसके प्रथम पद में द्वितीया से लेकर सप्तमी पर्यन्त छह विभक्तियों के रहने के कारण इसके छह भेद होते हैं। सूत्रोक्त उदाहरण सप्तमीविभक्तिपरक हैं। तत्पुरुषसमास के और भी उपभेद हैं, जिनमें नञ्, अलुक् और उपपद प्रधान हैं। नञ् तत्पुरुष में अभाव, निषेध अर्थसूचक अ, अन्, न उपसर्ग शब्द के पूर्व में लगाकर समस्त पद बनाया जाता है। जैसे अनाथ, अनन्त, असत्य । इसमें व्यंजन से पहले अ और स्वर से पहले अन् लगता है। अलुक् समास में पूर्वपद की विभक्ति का लोप नहीं होता है। जैसे अन्तेवासी, खेचर आदि। उपपदसमास में दूसरा पद ऐसा कृदन्त होता है कि असंबद्ध रहने पर जिसका कोई प्रयोग या उपयोग नहीं होता। जैसे—कुंभ-कार, चर्म-कार इत्यादि। अव्ययीभावसमास ३००. से किं तं अव्वईभावे समासे ? अव्वईभावे समासे अणुगामं अणुणदीयं अणुफरिहं अणुचरियं । से तं अव्वईभावे समासे । [३०० प्र.] भगवन् ! अव्ययीभावसमास का स्वरूप क्या है ? [३०० उ.] आयुष्मन् ! अव्ययीभावसमास इस प्रकार जानना चाहिए—ग्राम के समीप—'अनुग्राम', नदी के समीप—'अनुनदिकम्', इसी प्रकार अनुस्पर्शम्, अनुचरितम् आदि अव्ययीभावसमास के उदाहरण हैं। विवेचन- अव्ययीभावसमास में पूर्व पद अव्यय रूप और उत्तर पद नाम होता है तथा अन्त में सदा नपुंसकलिंग और प्रथमा विभक्ति का एकवचन रहता है। यह उदाहरणों से स्पष्ट है। एकशेषसमास ३०१. से किं तं एगसेसे समासे ? एगसेसे समासे जहा एगो पुरिसो तह बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तह एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो, जहा एगो साली तहा बहवे सालिणो जहा बहवे सालिणो तहा एगो साली । से तं एगसेसे समासे । से तं सामासिए । [३०१ प्र.] भगवन् ! एकशेषसमास किसे कहते हैं ? [३०१ उ.] आयुष्मन् ! जिसमें एक शेष रहे, वह एकशेषसमास है। वह इस प्रकार—जैसा एक पुरुष वैसे अनेक पुरुष और जैसे अनेक पुरुष वैसा एक पुरुष, जैसा एक कार्षापण (स्वर्णमुद्रा) वैसे अनेक कार्षापण और जैसे अनेक कार्षापण वैसा एक कार्षापण, जैसे एक शालि वैसे अनेक शालि और जैसे अनेक शालि वैसा एक शालि इत्यादि एकशेषसमास के उदाहरण हैं। इस प्रकार से सामासिकभावप्रमाणनाम का आशय जानना चाहिए।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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