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नामाधिकारनिरूपण
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[२८५ प्र.] भगवन् ! नक्षत्रनाम नक्षत्र के आधार से स्थापित नाम का क्या स्वरूप है ? [२८५ उ.] आयुष्मन् ! नक्षत्रनाम का स्वरूप इस प्रकार है
कृतिका नक्षत्र में जन्मे (बालक) का कृत्तिक (कार्तिक), कृत्तिकादत्त, कृत्तिकाधर्म, कृत्तिकाशर्म, कृत्तिकादेव, कृत्तिकादास, कृत्तिकासेन, कृत्तिकारक्षित आदि नाम रखना।
__रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न हुए का रौहिणेय, रोहिणीदत्त, रोहिणीधर्म, रोहिणीशर्म, रोहिणीदेव, रोहिणीदास, रोहिणीसेन, रोहिणीरक्षित नाम रखना।
इसी प्रकार अन्य सब नक्षत्रों में जन्मे हुओं के उन-उन नक्षत्रों के आधार से रखे नामों के विषय में जानना चाहिए।
नक्षत्रनामों की संग्राहक गाथायें इस प्रकार हैं
१. कृत्तिका, २. रोहिणी, ३. मृगशिरा, ४. आर्द्रा, ५. पुनर्वसु, ६. पुष्य, ७. अश्लेषा, ८. मघा, ९-१०. पूर्वफाल्गुनी, उत्तरफाल्गुनी रूप दो फाल्गुनी, ११. हस्त, १२. चित्रा, १३. स्वाति, १४. विशाखा, १५. अनुराधा, १६. ज्येष्ठा, १७. मूला, १८. पूर्वाषाढा, १९. उत्तराषाढा, २०. अभिजित, २१. श्रवण, २२. धनिष्ठा, २३. शतभिष, २४-२५. पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा नामक दो भाद्रपदा, २६. रेवती, २७. अश्विनी, २८. भरिणी, यह नक्षत्रों के नामों की परिपाटी है। ८६, ८७, ८८
इस प्रकार नक्षत्रनाम का स्वरूप है।
विवेचन— सूत्र में नक्षत्रनाम का स्वरूप बतलाया है। व्यक्ति की उस-उस नक्षत्र में उत्पत्ति का बोध कराने के साथ लोकव्यवहार चलाने के लिए नक्षत्रों के आधार से नाम रख लिये जाते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार तो नक्षत्रों के नामों का क्रम अश्विनी, भरणी आदि रूप है, लेकिन अभिजित् नक्षत्र के साथ पढ़े जाने पर सूत्रोक्त कृत्तिका, रोहिणी आदि क्रमविन्यास ही देखा जाता है।
नक्षत्रनाम की व्याख्या तो उक्त प्रकार है, किन्तु ये कृत्तिका आदि प्रत्येक नक्षत्र अग्नि आदि एक-एक देवता द्वारा अधिष्ठित हैं। इसलिए कभी-कभी नक्षत्र के अधिष्ठायक देवों के नाम पर भी व्यक्ति का नाम रख लिया जाता है। अत: अब देवनाम का वर्णन करते हैं। देवनाम
२८६. से किं तं देवयणामे ?
देवयणामे अग्गिदेवयाहिं जाते अग्गिए अग्गिदिण्णे अग्गिधम्मे अग्गिसम्मे अग्गिंदेवे अग्गिदासे अग्गिसेणे अग्गिरक्खिए । एवं पि सव्वनक्खत्तदेवतनामा भाणियव्वा । एत्थं पि य संगहणिगाहाओ, तं जहा
अग्गि १ पयावइ २ सोमे ३ रुद्दे ४ अदिती ५ वहस्सई ६ सप्पे ७ । पिति ८ भग ९ अज्जम १० सविया ११ तट्ठा १२ वायू १३ य इंदग्गी १४ ॥ ८९॥ मित्तो १५ इंदो १६ णिरिती १७ आऊ १८ विस्सो १९ य बंभ २० विण्हू य २१ । वसु २० वरुण २३ अय २४ विवद्धी २५ पूसे २६ आसे २७ जमे २८ चेव ॥ ९०॥ से तं देवयणामे ।