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नामाधिकारनिरूपण
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वैभाविक भावों की रहितता से जो अंतर में शांति की अनुभूति एवं बाहर में मुख पर लावण्यमय ओज – तेज दिखाई देता है, वह सब प्रशान्तरस रूप है। इसी बात को उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया है।
इस प्रकार नवरसों के रूप में नवनाम का वर्णन करके अब ग्रन्थकार उपसंहार करते हैं—
( ११ ) एए णव कव्वरसा बत्तीसादोसविहिसमुप्पण्णा । गाहाहिं मुणेयव्वा, हवंति सुद्धा व मीसा वा ॥ ८२ ॥ सेतं नवनामे ।
[२६२-११] गाथाओं द्वारा कहे गये ये नव काव्यरस अलीकता आदि सूत्र के बत्तीस दोषों से उत्पन्न होते हैं और कहीं शुद्ध (अमिश्रित) भी होते हैं और कहीं मिश्रित भी होते हैं।
इस प्रकार से नवरसों का वर्णन पूर्ण हुआ और नवरसों के साथ ही नवनाम का निरूपण भी पूर्ण हुआ। विवेचन—– यह गाथा नवरसों और साथ ही नवनाम के वर्णन की समाप्ति की सूचक है ।
ये नवरस आगे कहे जाने वाले अलीक, उपघात आदि सूत्र के बत्तीस दोषों के द्वारा उत्पन्न होते हैं। जैसे— तेषां कटतटभ्रष्टैर्गजानां मदविन्दुभिः ।
प्रावर्तत नदी घोरा हस्त्यश्वरथवहिनी ॥
अर्थात् उन हाथियों के कट-तट से झरते हुए मदबिन्दुओं से एक घोर (विशाल) नदी बह निकली कि जिसमें हाथी, घोड़ा, रथ और सेना बहने लगी।
यह कथन अलीकता दोष से दूषित है, क्योंकि मदजल से नदी का निकलना न तो किसी ने देखा है, न सुना है और न संभव है। यह तो एक कल्पनामात्र है । इस अलीक दोष से अद्भुतरस उत्पन्न हुआ है।
इसी प्रकार से अन्यत्र भी यथासंभव सूत्रदोषों से उन-उन रसों की उत्पत्ति जानना चाहिए। परन्तु यह एकान्त नियम नहीं है कि सभी रस अलीकादि दोषों की विरचना से ही उत्पन्न होते हैं । जैसे—तपश्चरण विषयक वीररस तथा प्रशान्त आदि रसों की उत्पत्ति अलीकादि सूत्रदोषों के बिना भी होती है ।
'सुद्धा वा मिस्सा वा हवंति' अर्थात् किसी काव्य में शुद्ध एक ही रस और किसी में दो और दो से अधिक रसों का समावेश होता है ।
अब नाम अधिकार के अंतिम भेद दसनाम का वर्णन करते हैं—
दसनाम
२६३. से किं तं दसनामे ?
दसनामे दसविहे पण्णत्ते । तं जहा गोणे १ नोगोण्णे २ आयाणपदेणं ३ पडिवक्खपदेणं ४ पाहण्णयाए ५ अणादियसिद्धंतेणं ६ नामेणं ७ अवयवेणं ८ संजोगेणं ९ पमाणेणं १० । [२६३ प्र.] भगवन् ! दसनाम का क्या स्वरूप है ?
[२६३ उ.] आयुष्मन् ! दस प्रकार के दस नाम कहलाते हैं । वे इस प्रकार हैं
१. गौणनाम, २. नोगौणनाम, ३. आदानपदनिष्पन्ननाम, ४, प्रतिपक्षपदनिष्पन्ननाम, ५. प्रधानप्रदनिष्पन्ननाम्न, ६. अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम, ७. नामनिष्पन्ननाम, ८. अवयवनिष्पन्ननाम, ९. संयोगनिष्पन्ननाम, १०. प्रमाणनिष्पन्ननाम ।