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नामाधिकारनिरूपण
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खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ४ अस्थि णामे उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ५।
[२५६] चार भावों के संयोग से निष्पन्न सानिपातिकभाव के पांच भंगों के नाम इस प्रकार हैं—१. औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव, २. औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव.३. औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव. ४. औदयिक-क्षायिक-क्षायोपशमि पारिणामिकनिष्पन्नभाव, ५. औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव।
२५७. कतरे से णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं ख्ओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने १ ।
[२५७-१ प्र.] भगवन् ! औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिकनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का क्या स्वरूप है?
[२५७-१ उ.] आयुष्मन् ! औदयिकभाव में मनुष्य, औपशमिकभाव में उपशांत कषाय, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व और क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां, यह औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिकभावनिष्पन्न सानिपातिकभाव का स्वरूप है। १
कतरे से नामे उदइए उवसमिए खइए पारिणमियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने २ ।
.. [२५७-२ प्र.] भगवन् ! औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का क्या स्वरूप है ? . [२५७-२ उ.] आयुष्मन् ! औदयिकभाव में मनुष्यगति, औपशमिकभाव में उपशांत कषाय, क्षायिकभाव में क्षायिक सम्यक्त्व और पारिणामिकभाव में जीवत्व, यह औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का स्वरूप है। २
कतरे से णामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खओवसमियाइं इंदियाइं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ३ ।
[२५७-३ प्र.] भगवन् ! औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव का क्या स्वरूप है ?
[२५७-३ उ.] आयुष्मन् ! औदयिकभाव में मनुष्यगति, औपशमिकभाव में उपशांत कषाय, क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां और पारिणामिकभाव में जीवत्व, इस प्रकार से औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकभावनिष्पन्न सान्निपातिकभाव के तृतीय भंग का स्वरूप जानना चाहिए। ३
कतरे से णामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं खओवसमियाइं इंदियाइं पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ४ ।