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________________ १६४ अनुयोगद्वारसूत्र कतरे से णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ? खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ९ । कतरे से णामे खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? खयोवसमियाइं इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने १० । [२५३ प्र.] भगवन् ! औदयिक-औपशमिकभाव के संयोग से निष्पन्न भंग का स्वरूप क्या है ? उत्तर- आयुष्मन् ! औदयिक-औपशमिकभाव के संयोग से निष्पन्न भंग का यह स्वरूप है-औदयिकभाव में मनुष्यगति और औपशमिकभाव में उपशांतकषाय को ग्रहण करने रूप औदयिक-औपशमिकभाव है। १ प्रश्न- भगवन् ! औदयिक-क्षायिकनिष्पन्नभाव का क्या स्वरूप है ? उत्तर- आयुष्मन् ! औदयिकभाव में मनुष्यगति और क्षायिकभाव में क्षायिक सम्यक्त्व का ग्रहण औदयिकक्षायिकभाव है। २ प्रश्न- भगवन् ! औदयिक-क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव का क्या स्वरूप है ? उत्तर- आयुष्मन् ! औदयिकभाव में मनुष्यगति और क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां जानना चाहिए। यह औदयिक-क्षायोपशमिकभाव का स्वरूप है। ३ प्रश्न- भगवन् ! औदयिक-पारिणामिकभाव के संयोग से निष्पन्न भंग का क्या स्वरूप है ? उत्तर-आयुष्मन् ! औदयिकभाव में मनुष्यगति और पारिणामिकभाव में जीवत्व को ग्रहण करना औदयिकपारिणामिकभाव का स्वरूप है। ४ प्रश्न- भगवन् ! औपशमिक-क्षयसंयोगनिष्पन्नभाव का स्वरूप क्या है ? उत्तर- आयुष्मन् ! उपशांतकषाय और क्षायिक सम्यक्त्व यह औपशमिक-क्षायिकसंयोगज भाव का स्वरूप है।५ प्रश्न- भगवन् ! औपशमिक-क्षयोपशमनिष्पन्न के संयोग का क्या स्वरूप है ? उत्तर- आयुष्मन् ! औपशमिकभाव में उपशांतकषाय और क्षयोपशमनिष्पन्न में इन्द्रियां यह औपशमिकक्षयोपशमनिष्पन्नभाव का स्वरूप है। ६ प्रश्न- भगवन् ! औपशमिक-पारिणामिकसंयोगनिष्पन्नभाव का क्या स्वरूप है ? उत्तर- आयुष्मन् ! औपशमिकभाव में उपशांतकषाय और पारिणामिकभाव में जीवत्व यह औपशमिकपारिणामिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है।७ प्रश्न- भगवन् ! क्षायिक और क्षयोपशमनिष्पन्नभाव का क्या स्वरूप है ? उत्तर- आयुष्मन् ! क्षायिक सम्यक्त्व और क्षायोपशमिक इन्द्रियां यह क्षायिक-क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप जानना चाहिए।८ . प्रश्न- भगवन् ! क्षायिक और पारिणामिकनिष्पन्न का क्या स्वरूप है ? उत्तर- आयुष्मन् ! क्षायिकभाव में क्षायिक सम्यक्त्व और पारिणामिकभव में जीवत्व क ग्रहण क्षायिकपारिणामिकनिष्पन्नभाव का स्वरूप है।९
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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