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________________ नामाधिकारनिरूपण - १६३ द्विकसंयोगज सान्निपातिकभाव २५२. तत्थ णं जे से दस दुगसंजोगा ते णं इमे—अत्थि णामे उदइए उवसमनिप्पण्णे १ अस्थि-णामे उदइए खयनिप्पण्णे २ अत्थि णामे उदइए खओवसमनिप्पण्णे ३ अस्थि णामे उदइए पारिणामियनिप्पण्णे ४ अत्थि णामे उवसमिए खयनिप्पण्णे ५ अस्थि णामे उवसमिए खओवसमनिप्पण्णे ६ अत्थि णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पण्णे ७ अत्थि णामे खइए खओवसमनिप्पन्ने ८ अस्थि णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ९ अस्थि णामे खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने १० । [२५२ प्र.] दो-दो के संयोग से निष्पन्न दस भंगों के नाम इस प्रकार हैं १. औदयिक-औपशमिक के संयोग से निष्पन्न भाव, २. औदयिक-क्षायिक के संयोग से निष्पन्न भाव, ३. औदयिक-क्षायोपशमिक के संयोग से निष्पन्न भाव, ४. औदयिक-पारिणामिक के संयोग से निष्पन्न भाव, ५. औपशमिक-क्षायिक के संयोग से निष्पन्न भाव, ६. औपशमिक-क्षायोपशमिक के संयोग से निष्पन्न भाव, ७. औपशमिक-पारिणामिक के संयोग से निष्पन्न भाव, ८. क्षायिक-क्षायोपशमिक के संयोग से निष्पन्न भावं, ९. क्षायिक-पारिणामिक के संयोग से निष्पन्न भाव तथा १०. क्षायोपशमिक-पारिणामिक के संयोग से निष्पन्न भाव। २५३. कतरे से नामे उदइए उवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया, एस णं से णामे उदइए उवसमनिप्पन्ने १ । कतरे से नामे उदइए खयनिप्पन्ने ? । उदए त्ति मणूसे खतियं सम्मत्तं, एस णं से नामे उदइए खयनिप्पन्ने २ । कतरे से णामे उदइए खयोवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खयोवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइए खयोवसमनिप्पन्ने ३ । कतरे से णामे उदइए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए पारिणामियनिप्पन्ने ४ ।। कयरे से णामे उवसमिए खयनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उवसमिए खयनिप्पन्ने ५ । कयरे से णामे उवसमिए खओवसमनिप्पण्णे ? उवसंता कसाया खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उवसमिए खओवसमनिप्पन्ने ६। कयरे से णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ७ । कतरे से णामे खइए खओवसमियनिप्पन्ने ? खइयं सम्मत्तं खयोवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे खइए खयोवसमनिप्पन्ने ८ । १. पाठान्तर-निष्फण्णे।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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