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________________ नामाधिकारनिरूपण १४३ __ [२२१ उ.] आयुष्मन् ! गंधनाम के दो प्रकार हैं। यथा—१. सुरभिगंधनाम, २. दुरभिगंधनाम। यह गंधनाम का स्वरूप है। विवेचन— सूत्र में गंधनाम के मूल दो भेदों का संकेत किया है। जो गंध अपनी ओर आकृष्ट करती है, वह सुरभिगंध और जो विमुख करती है, वह दुरभिगंध है। इन दोनों के संयोगज और भी अनेक भेद हो सकते हैं, परन्तु इन दोनों की प्रधानता होने से उनका पृथक् निर्देश नहीं किया है। रसनाम २२२. से किं तं रसनामे ? रसनामे पंचविहे. पण्णत्ते । तं जहा—तित्तरसणामे १ कडुयरसणामे २ कसायरसणामे ३ अंबिलरसणामे ४ महुररसणामे य ५ । से तं रसनामे । [२२२ प्र.] भगवन् ! रसनाम का क्या स्वरूप है ? [२२२ उ.] आयुष्मन् ! रसनाम के पांच भेद हैं । जैसे—१. तिक्तरसनाम, २. कटुकरसनाम, ३. कषायरसनाम, . ४. आम्लरसनाम, ५. मधुररसनाम। इस प्रकार से रसनाम का स्वरूप जानना चाहिए। विवेचन— सूत्र में तिक्त, कटु, कषाय, आम्ल और मधुर के भेद से रस पांच प्रकार के बतलाये हैं। इन रसों के गुण, धर्म, स्वभाव इस प्रकार हैं १. तिक्तरस कफ, अरुचि, पित्त, तृषा, कुष्ठ, विष, ज्वर आदि विकारों को नष्ट करने वाला है। यह रस प्रायः नीम आदि में पाया जाता है। २. गले के रोग का उपशमक, काली मिर्च आदि में पाया जाने वाला रस कटुकरस है। ३. जो रक्तदोष आदि का नाशक है, ऐसा आंवला, बहेड़ा आदि में पाया जाने वाला रस कषायरस है। यह स्वभावतः रूक्ष, शीत एवं रोचक होता है। ४. इमली आदि में रहा हुआ रस आम्लरस है। यह जठराग्नि का उद्दीपक है। पित्त और कफ का नाश करता है, रुचिवर्धक है। लोकभाषा में इसको खट्टा रस कहते हैं। ५. पित्तादि का शमन करने वाला रस मधुर रस है। यह रस बालक, वृद्ध और क्षीण शक्ति वालों को लाभदायक होता है तथा खांड, शक्कर आदि मीठे पदार्थों में पाया जाता है। स्पर्शनाम २२३. से किं तं फासणामे ? फासणामे अट्ठविहे पण्णत्ते । तं जहा कक्खडफासणामे १ मउयफासणामे २ गरुयफासणामे ३ लहुयफासणामे ४ सीतफासणामे ५ उसिणफासणामे ६ णिद्धफासणामे ७ लुक्खफासणामे ८ । से तं फासणामे । [२२३ प्र.] भगवन् ! स्पर्शनाम का क्या स्वरूप है ?
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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