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नामाधिकारनिरूपण
१४१ विवेचन- तीन विकल्प वाला नाम त्रिनाम है। सूत्र में द्रव्य, गुण और पर्याय को त्रिनाम का उदाहरण बतलाया है।
द्रव्यं, गुण, पर्याय का लक्षण- उन-उन पर्यायों को जो प्राप्त करता है, उसका नाम द्रव्य है। यह द्रव्य शब्द का व्युत्पत्तिमूलक अर्थ है। इस अर्थ के परिप्रेक्ष्य में जैन दार्शनिकों ने द्रव्य की व्याख्या दो प्रकार से की हैजो गुण और पर्याय का आधार हो तथा उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य स्वभाव वाला हो, उसे द्रव्य कहते हैं। त्रिकाल स्थायी स्वभाव वाले असाधारण धर्म को गुण और प्रति समय पलटने वाली अवस्था को अथवा गुणों के विकार को पर्याय कहते हैं। गुण ध्रुव और पर्यायें उत्पाद-व्यय रूप हैं। इन द्रव्य, गुण और पर्याय के नाम को क्रमशः द्रव्यनाम, गुणनाम और पर्यायनाम कहते हैं। ___ क्रम से अब इन तीनों का स्वरूप बतलाते हैं। (क) द्रव्यनाम
२१८. से किं तं दव्वणामे ?
दव्वणामे छव्विहे पण्णत्ते । तं जहा—धम्मत्थिकाए १ अधम्मत्थिकाए २ आगासत्थिकाए ३ जीवत्थिकाए ४ पोग्गलत्थिकाए ५ अद्धासमए ६ अ । से तं दव्वणामे ।।
[२१८ प्र.] भगवन् ! द्रव्यनाम का क्या स्वरूप है ?
[२१८ उ.] आयुष्मन् ! द्रव्यनाम छह प्रकार का है। यथा—१. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. जीवास्तिकाय, ५. पुद्गलास्तिकाय, ६. अद्धासमय।
विवेचन— सूत्र में द्रव्यनाम के रूप में विश्व के मौलिक उपादानभूत छह द्रव्यों के नाम बताये हैं।
इन छह द्रव्यों में धर्मास्तिकाय से लेकर पुद्गलास्तिकाय पर्यन्त पांच मुख्य द्रव्य हैं और अद्धासमय की अभिव्यक्ति प्रायः पुद्गलों के माध्यम से होने के कारण उसकी विशेष स्थिति है। वर्तना, परिणमन, परत्व-अपरत्व आदि रूपों के द्वारा उसका बोध होता है।
धर्मास्तिकाय आदि छह द्रव्यों में पुद्गल द्रव्य ही मूर्त है। अर्थात् ऐन्द्रियिक अनुभूति योग्य होने के साथ रूप, रस, गंध, स्पर्श गुणों से युक्त है, जबकि शेष द्रव्य अमूर्त-अरूपी होने से इन्द्रियगम्य नहीं हैं। इसी दृष्टि से प्रथम धर्म से लेकर जीव पर्यन्त अमूर्त द्रव्यों का और इनके बाद मूर्त पुद्गल का निर्देश किया है।
___ धर्म से लेकर पुद्गल पर्यन्त द्रव्यों के साथ अस्तिकाय विशेषण इसलिए दिया है कि ये द्रव्य अस्तित्रिकालावस्थायी होने के साथ-साथ काय—बहुप्रदेशी हैं। 'अस्ति' शब्द यहां प्रदेशों का वाचक है, अतएव प्रदेशों के काय-पिण्ड रूप द्रव्य अस्तिकाय कहलाते हैं। अद्धासमय का अस्तित्व वर्तमान समय रूप होने से उसके साथ 'काय' विशेषण नहीं लगाया है। (ख) गुणनाम
२१९. से किं तं गुणणामे ? गुणणामे पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा—वण्णणामे १ गंधणामे २ रसणामे ३ फासणामे ४