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अनुयोगद्वारसूत्र [२१६-१२] मनुष्य इस नाम को अविशेषित (सामान्य) नाम माना जाये तो सम्मूछिम मनुष्य और गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्य यह नाम विशेषित कहलायेंगे। ___सम्मूछिम मनुष्य को अविशेषित नाम मानने पर पर्याप्त सम्मूछिम मनुष्य और अपर्याप्त सम्मूछिम मनुष्य यह दो नाम विशेषित नाम हैं।
यदि गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्य को अविशेषित माना जाये तो पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्य और अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्य नाम विशेषित रूप हो जायेंगे।
(१३) अविसेसिए देवे, विसेसिए भवणवासी वाणमंतरे जोइसिए वेमाणिए य ।
अविसेसिए भवणवासी, विसेसिए असुरकुमारे एवं नाग. सुवण्ण. विजु. अग्गि. दीव. उदधि. दिसा. वात. थणियकुमारे ।
सव्वेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पजत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणियव्वा ।
[२१६-१३] देव नाम को अविशेषित मानने पर उसके अवान्तर भेद भवनवासी, वाणव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक यह देवनाम विशेषित कहलायेंगे।
यदि उक्त देवभेदों में से भवनवासी नाम को अविशेषित माना जाये तो असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिक्कुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार ये नाम विशेषित हैं।
इन सब नामों में से भी प्रत्येक को यदि अविशेषित माना जाये तो उन सबके पर्याप्त और अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहलाएंगे।
(१४) अविसेसिए वाणमंतरे, विसेसिए पिसाए भूते जक्खे रक्खसे किण्णरे किंपुरिसे महोरगे गंधव्वे ।
एतेसिं पि अविसेसिय-विसेसिय-पजत्तय-अपजत्तयभेया भाणियव्वा । __[२१६-१४] वाणव्यंतर इस नाम को अविशेषित मानने पर पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व ये नाम विशेषित नाम हैं।
इन सबमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहलायेंगे।
(१५) अविसेसिए जोइसिए, विसेसिए चंदे सूरे गहे नक्खत्ते तारारूवे । एतेसिं पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणियव्वा ।
[२१६-१५] यदि ज्योतिष्क नाम को अविशेषित माना जाये तो चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप नाम विशेषित कहे जायेंगे।
इनमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त, अपर्याप्त भेद विशेषित नाम हैं। जैसे कि पर्याप्त चन्द्र, अपर्याप्त चन्द्र आदि।
(१६) अविसेसिए वेमाणिए, विसेसिए कप्पोवगे य कप्पातीतए य । अविसेसिए कप्पोवए, विसेसिए सोहम्मए ईसाणए सणंकुमारए माहिंदए बंभलोगए लंतयए ।