SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नामाधिकारनिरूपण १.३७ [२१६-१०] थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक को अविशेषित नाम माने जाने पर चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक, परिसर्प थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक विशेषित नाम हैं। यदि चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक को अविशेषित माना जाये तो सम्मूच्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक और गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक ये भेद विशेषित नाम हैं। सम्मूच्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक यह अविशेषित नाम हो तो पर्याप्त सम्मूच्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और अपर्याप्त सम्मूच्छिम चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक विशेषित नाम हैं। यदि गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक नाम को अविशेषित माना जाये तो पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक और अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक चतुष्पद थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक ये विशेषित नाम हैं। यदि परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक यह अविशेषित नाम है तो उसके भेद उरपरिसर्प थलचर : पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक और भुजपरिसर्प थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक नाम विशेषित नाम हैं। इसी प्रकार सम्मूर्च्छिम पर्याप्त और अपर्याप्त तथा गर्भव्युत्क्रान्तिक पर्याप्त, अपर्याप्त का कथन कर लेना चाहिए । (११) अविसेसिए खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य गब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए सम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए गब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । [२१६-११] खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक अविशेषित नाम है तो सम्मूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और गर्भव्युत्क्रान्तिक खेचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक विशेषित नाम रूप हैं। यदि सम्मूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नाम को अविशेषित नाम माना जाये तो पर्याप्त सम्मूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और अपर्याप्त सम्मूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक रूप उसके भेद विशेषित नाम हैं। इसी प्रकार गर्भव्युत्क्रान्तिक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नाम को अविशेषित माना जाये तो पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक ये नाम विशेषित नाम कहे जायेंगे । (१२) अविसेसिए मणुस्से, विसेसिए सम्मुच्छिममणुस्से य गब्भवक्कंतियमणुस्से य । अविसेसिए सम्मुच्छिममणुस्से, विसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिममणूसे य अपज्जत्तगसम्मुच्छिममणूसे य । अविर्सेसिए गब्भवक्कंतियमणूसे, विसेसिए पज्जत्तयगब्भवक्कंतियमणूसे य अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियमणूसे य ।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy