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________________ १३६ अनुयोगद्वारसूत्र नाम हैं। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय के लिए भी जानना चाहिए। (८) अविसेसिए पंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिए थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य ।। [२१६-८] पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक को अविशेषित नाम मानने पर जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक, स्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक, खेचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक विशेषित नाम हैं। (९) अविसेसिए जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पजत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपजत्तयसमुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पजत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । [२१६-९] जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक अविशेषित नाम है तो सम्मूछिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक और गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक यह विशेषित नाम है। ___ संमूछिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक अविशेषित नाम है तो उसके पर्याप्त संमूछिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक, अपर्याप्त संमूच्छिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक ये दो भेद विशेषित नाम हैं। ___ गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक यह नाम अविशेषित है और पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक तथा अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक नाम विशेषित हैं। (१०) अविसेसिए थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए चउप्पयथलयरपंचेंदिय- . तिरिक्खजोणिए य परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य ।। अविसेसिए चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पजत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपजत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । ____ अविसेसिए गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पजत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य ।। अविसेसिए परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य भुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य । एवं सम्मुच्छिमा पजत्ता अपजत्ता य, गब्भवक्कंतिया वि पज्जत्ता अपजत्ता य भाणियव्वा ।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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