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नामाधिकारनिरूपण
य । एवं जाव अविसेसिए तमतमापुढविणेरइए, विसेसिए पज्जत्तए य अपज्जत्तए य ।
[२१६-४] नारक अविशेषित नाम है और रत्नप्रभा का नारक, शर्कराप्रभा का नारक, बालुकाप्रभा का पंकप्रभा का नारक, धूमप्रभा का नारक, तमः प्रभा का नारक, तमस्तमः प्रभा का नारक यह विशेषित द्विनाम
नारक,
हैं।
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रत्नप्रभा का नारक, इस नाम को अविशेषित माना जाए रत्नप्रभा का पर्याप्त नारक और रत्नप्रभा का अपर्याप्त नारक विशेषित नाम होंगे यावत् तमस्तम: प्रभापृथ्वी के नारक को अविशेषित मानने पर उसके पर्याप्त और अपर्याप्त ये विशेषित नाम कहलाएंगे।
(५) अविसेसिए तिरिक्खजोणिए, विसेसिए एगिंदिए बेइंदिए तेइंदिए चउरिदिए पंचिंदिए । [२१६-५] तिर्यंचयोनिक इस नाम को अविशेषित माना जाए तो एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय ये पांच विशेषित नाम हैं 1
(६) अविसेसिए एगिंदिए, विसेसिए पुढविकाइए. आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए ।
अविसेसि पुढविकाइए, विसेसिए सुहुमपुढविकाइए य बादरपुढविकाइए य । अविसेसिए सुहुमपुढविकाइए, विसेसिए पज्जत्तयहुमपुढविकाइए य अपज्जत्तयसुमपुढविकाइए ।
अविसेसिए बादरपुढविकाइए, विसेसिए पज्जत्तयबादरपुढविकाइए य अपज्जत्तयबादरपुढविकाइए य ।
एवं आ. ते. वाउ. वणस्सती. य अविसेसिए य पज्जत्तय - अपज्जयभेदेहिं भाणियव्वा । [२१६-६] एकेन्द्रिय को अविशेषित नाम माना जाये तो पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय ये विशेषित नाम हैं ।
यदि पृथ्वीकाय नाम को अविशेषित माना जाये तो सूक्ष्मपृथ्वीकाय और बादरपृथ्वीकांय यह विशेषित
नाम हैं।
सूक्ष्मपृथ्वीकाय नाम को अविशेषित मानने पर पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकाय और अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकाय यह विशेंषित नाम हैं।
बादरपृथ्वीका नाम अविशेषित है तो पर्याप्त बादरपृथ्वीकाय और अपर्याप्त बादरपृथ्वीकाय यह विशेषित
नाम हैं।
इसी प्रकार अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय इन नामों को अविशेषित नाम माने जाने पर अनुक्रम से उनके पर्याप्त और अपर्याप्त ये विशेषित नाम हैं ।
(७) अविसेसिए बेइंदिए, विसेसिए पज्जत्तयबेइंदिए य अपज्जत्तयबेइंदिए य । एवं तेइंदिय चउरिंदिया वि भाणियव्वा ।
[२१६-७] यदि द्वीन्द्रिय को अविशेषित नाम माना जाये तो पर्याप्त द्वीन्द्रिय और अपर्याप्त द्वीन्द्रिय विशेषित