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आनुपूर्वीनिरूपण
१२१ पुव्वीए वि भाणियव्वाणि, णवरं ठितीअभिलावो जाव से तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी । से तं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी ।
[२०० प्र.] भगवन् ! संग्रहनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता का क्या स्वरूप है ?
[२०० उ.] आयुष्मन् ! इन पांचों द्वारों का कथन संग्रहनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वी की तरह समझ लेना चाहिए। विशेष यह कि 'प्रदेशावगाढ' के बदले 'स्थिति' कहना चाहिए यावत् इस प्रकार से संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी और अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी का वर्णन हुआ।
विवेचन– सूत्र में संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी के अतिदेश द्वारा कालानुपूर्वी के पांच पदों का वर्णन किया है। क्षेत्रानुपूर्वी सम्बन्धी इन पांच पदों का विस्तार से वर्णन पूर्व में किया गया है। तदनुसार प्रदेशावगाढता के स्थान पर 'समयस्थितिक' पद का प्रयोग करके जैसा-का-तैसा वर्णन यहां समझ लेना चाहिए। ___इस प्रकार से समस्त अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी का वर्णन करने के अनन्तर अब अल्पवक्तव्य होने से स्थाप्य मानी गई औपनिधिकी कालानुपूर्वी की व्याख्या करते हैं। औपनिधिकी कालानुपूर्वी : प्रथम प्रकार
२०१. (१) से किं तं ओवणिहिया कालाणुपुव्वी ?
ओवणिहिया कालाणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता । तं जहा—पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । । [२०१-१ प्र.] भगवन् ! औपनिधिकी कालानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
[२०१-१ उ.] आयुष्मन् ! औपनिधिकी कालानुपूर्वी के तीन प्रकार हैं—१. पूर्वानुपूर्वी, २. पश्चानुपूर्वी और ३. अनानुपूर्वी।
(२) से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ?
पुव्वाणुपुव्वी एगसमयठितीए दुसमयठितीए तिसमयठितीए जाव दससमयठितीए जाव संखेजसमयठितीए असंखेजसमयठितीए । से तं पुव्वाणुपुव्वी । । [२०१-२ प्र.] भगवन् ! पूर्वानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
[२०१-२ उ.] आयुष्मन् ! पूर्वानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है—एक समय की स्थिति वाले, दो समय की स्थिति वाले, तीन समय की स्थिति वाले यावत् दस समय की स्थिति वाले यावत् संख्यात समय की स्थिति वाले, असंख्यात समय की स्थिति वाले द्रव्यों का अनुक्रम से उपन्यास करने को (औपनिधिकी) पूर्वानुपूर्वी कहते हैं।
(३) से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? पच्छाणुपुव्वी असंखेजसमयठितीए जाव एक्कसमयठितीए । से तं पच्छाणुपुव्वी । [२०१-३ प्र.] भगवन् ! पश्चानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
[२०१-३ उ.] आयुष्मन् ! असंख्यात समय की स्थिति वाले से लेकर एक समय पर्यन्त की स्थिति वाले द्रव्यों का व्युत्क्रम से उपन्यास करना पश्चानुपूर्वी है।