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अनुयोगद्वारसूत्र [१५८-३] द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थता की अपेक्षा में नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यक द्रव्य द्रव्यार्थ से सबसे अल्प हैं, (क्योंकि पूर्व में द्रव्यार्थता से अवक्तव्यक द्रव्यों में सर्वस्तोकता बताई है।) द्रव्यार्थता और अपद्रेशार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य अवक्तव्यक द्रव्यों से विशेषाधिक हैं। अवक्तव्यक द्रव्य प्रदेशार्थता की अपेक्षा विशेषाधिक हैं। आनुपूर्वी द्रव्य द्रव्यार्थता की अपेक्षा असंख्यातगुण हैं और उसी प्रकार प्रदेशार्थता की अपेक्षा भी असंख्यातगुण
. इस प्रकार से अनुगम की वक्तव्यता जानना चाहिए तथा इसके साथ ही नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी का वर्णन पूर्ण हुआ।
विवेचन— सूत्र में क्षेत्रानुपूर्वी के अनुगमगत अल्पबहुत्व का निर्देश किया है। यहां यह जानना चाहिए
द्रव्यों की गणना को द्रव्यार्थता तथा प्रदेशों की गणना को प्रदेशार्थता एवं द्रव्यों तथा प्रदेशों दोनों की गणना को द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थता या उभयार्थता कहते हैं।
आनुपूर्वी में विशिष्ट द्रव्यों के अवगाह से उपलक्षित हुए नभ:प्रदेशों में यह तीन नभ:प्रदेशों का समुदाय है, यह चार नभ:प्रदेशों का समुदाय है, इत्यादि रूप नभ:प्रदेशसमुदाय द्रव्य हैं और इन समुदायों के जो आरंभक हैं वे प्रदेश हैं।
अनानुपूर्वी में एक-एक प्रदेश-अवगाढ द्रव्य से उपलक्षित सकल आकाशप्रदेश पृथक्-पृथक् प्रत्येक द्रव्य हैं। एक-एक प्रदेश रूप द्रव्य में अन्य प्रदेशों का रहना असंभव होने से यहां प्रदेश संभव नहीं हैं।
___ अवक्तव्यकों में लोक में जितने-जितने दो-दो प्रदेशों के योग हैं, उतने प्रत्येक द्रव्य हैं और इन द्विकयोगों को प्रारंभ करने वाले प्रदेश हैं।
शेष अल्पबहुत्व का कथन सुगम है। इस वर्णन के साथ नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी का कथन समाप्त हुआ।
अब क्रमप्राप्त संग्रहनयसम्म त अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी का वर्णन प्रारंभ करते हैं। संग्रहनयसंमत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वीप्ररूपणा
१५९. से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी ?
जहेव दव्वाणुपुव्वी तहेव खेत्ताणुपुव्वी णेयव्वा । से तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुवी । से तं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी ।
[१५९ प्र.] भगवन् ! संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
[१५९ उ.] आयुष्मन् ! पूर्वोक्त संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी की तरह इस क्षेत्रानुपूर्वी का भी स्वरूप जानना चाहिए।
इस प्रकार से संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी की और साथ ही अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी की वक्तव्यता समाप्त हुई।
विवेचन— सूत्र में संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी के अतिदेश द्वारा क्षेत्रानुपूर्वी के वर्णन करने का संकेत किया है। लेकिन किसी-किसी प्रति में इस संक्षिप्त कथन से सम्बन्धित सूत्रपाठ इस प्रकार है