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आनुपूर्वीनिरूपण
तिन्नि वि णियमा सादिपारिणामिए भावे होजा ।
[१५७ प्र.] भगवन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य किस भाव में वर्तते हैं ? ___ [१५७ उ.] आयुष्मन् ! तीनों ही (आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी, अवक्तव्यक) द्रव्य नियमतः सादि-पारिणामिक भाव में वर्तते हैं।
विवेचन— सूत्रार्थ सुगम है । इस भावप्ररूपणा का तात्पर्य यह है कि तीन आदि प्रदेशों में आनुपूर्वी द्रव्यों का अवगाहपरिणाम, एक प्रदेश में अनानुपूर्वी द्रव्यों का अवगाहपरिणाम और द्विप्रदेशों में अवक्तव्यक द्रव्यों का अवगाहपरिणाम सादि है। इसलिए ये सब द्रव्य सादि-पारिणामिक भाववर्ती हैं।' अनुगमगत अल्पबहुत्वप्ररूपणा
१५८. (१) एएसि णं भंते ! णेगम-ववहाराणं आणुपुत्वीदव्वाणं अणाणुपुव्वीदव्वाणं अवत्तव्वयदव्वाणं य दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं दव्वट्ठयाए, अणाणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्ठयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्ठयाए असंखेजगुणाई । . [१५८-१ प्र.] भगवन् ! इन नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों, अनानुपूर्वी द्रव्यों और अवक्तव्यक द्रव्यों में कौन द्रव्य किन द्रव्यों से द्रव्यार्थता, प्रदेशार्थता और द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थता की अपेक्षा अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ?
[१५८-१ उ.] गौतम ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यक द्रव्य द्रव्यार्थता की अपेक्षा सब से अल्प हैं। द्रव्यार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य अवक्तव्यक द्रव्यों से विशेषाधिक हैं और आनुपूर्वी द्रव्य द्रव्यार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्यों से असंख्यातगुण हैं।
(२) पएसट्टयाए सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं अपएसट्टयाए, अवत्तव्वयदव्वाइं पएसट्टयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्वीदव्वाइं पएसट्टयाए असंखेजगुणाई ।।
[१५८-२] प्रदेशार्थता की अपेक्षा नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य अप्रदेशी होने के कारण सर्वस्तोक हैं। प्रदेशार्थता की अपेक्षा अवक्तव्यक द्रव्य अनानुपूर्वी द्रव्यों से विशेषाधिक हैं और आनुपूर्वी द्रव्य प्रदेशार्थता की अपेक्षा अवक्तव्यक द्रव्यों से असंख्यातगुण हैं।
(३) दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं दव्वट्ठयाए, अणाणुपुव्वीदव्वाई दव्वट्ठयाए अपएसट्टयाए विसेसाहियाई, अवत्तव्वयदव्वाइं पएसट्ठयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्ठयाए असंखेजगुणाई, ताई चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणाई । से तं अणुगमे । से तं गम-ववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी ।
१. किन्हीं किन्हीं प्रतियों में 'तिन्निवि णियमा सादिपारिणामिए भावे होज्जा' के स्थान पर 'णियमा साइपारिणामिए भावे
होज्जा । एवं दोण्णिवि' पाठ है।