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________________ ६४ अनुयोगद्वारसूत्र वाच्यार्थ स्पष्ट किय है कि किस भंग के द्वारा किसके लिए संकेत किया है। जैसे कि त्रिप्रदेशी स्कन्ध आनुपूर्वी शब्द का, परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी का और द्विप्रदेशीस्कन्ध अवक्तव्य शब्द का वाच्य है। अतएव एकवचन व बहुवचन के रूप में जिस प्रकार से आनुपूर्वी आदि शब्द का प्रयोग किया गया हो, उसका उसी रूप में वाच्यार्थ निर्धारित कर लेना चाहिए। अर्थपदप्ररूपणा और भंगोपदर्शनता में यह अन्तर है कि अर्थपदप्ररूपणा में तो केवल अर्थपद रूप पदार्थ का कथन और भंगोपदर्शनता में भिन्न-भिन्न रूप से कथित भंगों का अर्थ स्पष्ट किया जाता है। इसलिए यहां पुनरुक्ति की कल्पना नहीं करनी चाहिए। समवतार-प्ररूपणा ___ १०४. (१) से किं तं समोयारे ? समोयारे णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति ? नेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति, णो अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति । [१०४-१ प्र.] भगवन् ! समवतार का क्या स्वरूप है ? नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य कहां समवतरित (समाविष्ट) होते हैं ? क्या आनुपूर्वीद्रव्यों में समवतरित होते हैं, अनानुपूर्वीद्रव्यों में अथवा अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? __[१०४-१ उ.] आयुष्मन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य आनुपूर्वीद्रव्यों में समवतरित होते हैं, किन्तु अनानुपूर्वीद्रव्यों में या अवक्तव्यद्रव्यों में समवतरित नहीं होते हैं। (२) णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहि समोयरंति ? । __णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं णो आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति, अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति, णो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति । [१०४-२ प्र.] भगवन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य कहां समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वी द्रव्ये में समवतरित होते हैं ? अनानुपूर्वीद्रव्यों में या अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? [१०४-२ उ.] आयुष्मन् ! अनानुपूर्वीद्रव्य आनुपूर्वीद्रव्यों में और अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित नहीं होते हैं किन्तु अनानुपूर्वीद्रव्यों में समवतरित होते हैं। (३) णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाई कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अवत्तव्ययदव्वेहिं समोयरंति ? ___णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं णो आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति, णो अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति, अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति । से तं समोयारे ।
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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