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________________ आनुपूर्वीनिरूपण परमाणुपोग्गला य दुपदेसिए य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ७ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गला य दुपदेसिया य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाई च ८ । से तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया । ६३ [१०३ प्र.] भगवन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता का क्या स्वरूप है ? [१०३ उ.] आयुष्मन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता का स्वरूप इस प्रकार है १. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, २. परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी है, ३. द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है, ४. त्रिप्रदेशिक अनेक स्कन्ध आनुपूर्वियां हैं, ५. अनेक परमाणु पुद्गल अनानुपूर्वियां हैं, ६. अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्यक हैं। (इस प्रकार से असंयोगी छह भंगों का अर्थ जानना चाहिए।) अथवा — १. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और परमाणुपुद्गल आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी रूप है, २. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक परमाणुपुद्गल आनुपूर्वी और अनानुपूर्वियों का वाच्यार्थ है, ३. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और परमाणुपुद्गल आनुपूर्वियां और अनानुपूर्वी है, ४. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक परमाणुपुद्गल आनुपूर्वियों और अनानुपूर्वियों का रूप हैं। अथवा १. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी - अवक्तव्य है, २. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी अवक्तव्यक रूप हैं, ३. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियां और अवक्तव्य रूप हैं, ४. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियों और अवक्तव्यकों रूप हैं। अथवा १. परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वी अवक्तव्यक रूप है, २. परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वी अवक्तव्यकों रूप हैं, ३. अनेक परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्धं अनानुपूर्वियों और अवक्तव्य रूप है, ४. अनेक परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यकों रूप हैं। अथवा - १. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी - अनानुपूर्वी - अवक्तव्यक रूप है, २. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यकों रूप है, ३. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, अनेक परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यक रूप है, ४. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, अनेक परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यकों रूप हैं, ५. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिकस्कन्ध आनुपूर्वियों, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक रूप है, ६. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियों, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यकों रूप हैं, ७. अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अनेक परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियों, अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यक रूप है, ८. अनेक त्रिप्रदेशिकस्कन्ध, अनेक परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिकस्कन्ध अनुपूर्वियों —— अनानुपूर्वियों— अवक्तव्यकों रूप हैं। इस प्रकार से नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता का स्वरूप जानना चाहिए। विवेचन — पूर्व में भंगसमुत्कीर्तन के द्वारा जो संक्षेप रूप में संकेत किया था, उसी का यहां विस्तार से
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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