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________________ अनुयोगद्वारसूत्र एयाए णं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया कीरइ । [१०२ प्र.] भगवन् ! इस नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है ? [१०२ उ.] आयुष्मन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का प्रयोजन यह है कि उसके द्वारा भंगोपदर्शन—भंगों का कथन किया जाता है। विवेचन— सूत्र में समुत्कीर्तन का प्रयोजन बताया है । यद्यपि भंगसमुत्कीर्तन और भंगोपदर्शन का आशय स्थूल दृष्टि से एक जैसा प्रतीत होता है, लेकिन शब्दभेद से अर्थभेद होने के न्यायानुसार दोनों में अंतर है। वह इस प्रकार—भंगसमुत्कीर्तन में तो भंगों का नाम और वे कितने होते हैं, यह बतलाते हैं और भंगोपदर्शन में उनका त्र्यणुक आदि वाच्यार्थ कहा जाता है। क्योंकि वाचकसूत्र के कथन के बिना वाच्य रूप अर्थ का कथन करना असंभव है। इसलिए भंगोपदर्शनता, भंगसमुत्कीर्तनता का फल जानना चाहिए। अर्थात् भंगसमुत्कीर्तनता कारण है और भंगोपदर्शन उसका कार्य है। नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शनता १०३. से किं तं णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया ? णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया तिपदेसिए आणुपुव्वी १ परमाणुपोग्गले अणाणुपुव्वी २ दुपदेसिए अवत्तव्वए ३ तिपदेसिया आणुपुव्वीओ ४ परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वीओ ५ दुपदेसिया अवत्तव्वयाई ६ । अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गले य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य १ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य २ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गले य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य ३ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य ४, अहवा तिपदेसिए य दुपदेसिए य आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा तिपदेसिए य दुपदेसिया य आणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा तिपदेसिया य दुपदेसिए य आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा तिपदेसिया य दुपदेसिया य आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ४, अहवा परमाणुपोग्गले य दुपदेसिए य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा परमाणु-पोग्गले य दुपदेसिया य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाई च २ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपदेसिए य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपदेसिया य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ४ । अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिए य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिया य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गला य दुपदेसिए य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गला य दुपदेसिया य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ट्क अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिए य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिया य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाई च ६ अहवा तिपदेसिय य
SR No.003468
Book TitleAgam 32 Chulika 01 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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