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आनुपूर्वीनिरूपण
यह तीन पदार्थ हैं। इनके असंयोग पक्ष में एकवचनान्त तीन और बहुवचनान्त तीन इस प्रकार छह भंग होते हैं।
संयोगपक्ष में इन तीन पदों के द्विकसंयोगी भंग तीन चतुर्भगी रूप होने से कुल बारह हैं। इन एक-एक भंग में दो-दो का संयोग होने पर एकवचन और बहुवचन को लेकर चार-चार भंग होते हैं। इसलिए तीन चतुर्भगी और उनके कुल बारह भंग हो जाते हैं।
त्रिकसंयोग में एकवचन और बहुवचन को लेकर आठ भंग बनते हैं। इस प्रकार छह, बारह और आठ भंगों को मिलाने से कुल छब्बीस भंग हो जाते हैं। सुगमता से बोध के लिए उनका प्रारूप इस प्रकार हैअसंयोग भंग ६
द्विकसंयोगी भंग १२ त्रिकसंयोगी भंग ८
(प्रथम चतुर्भगी) १. आनुपूर्वी
१. आनुपूर्वी अनानुपूर्वी, १. आनुपूर्वी अनानुपूर्वी२. अनानुपूर्वी
२. आनुपूर्वी अनानुपूर्वियां, .. अवक्तव्य, ३. अवक्तव्यक
३. आनुपूर्वियां अनानुपूर्वी, २. आनुपूर्वी अनानुपूर्वी४. आनुपूर्वियां
४. आनुपूर्वियां—अनानुपूर्वियां। अनेक अवक्तव्यक, ५. अनानुपूर्वियां
३. आनुपूर्वी अनानुपूर्वियां६. अनेक अवक्तव्यक
अवक्तव्यक, (द्वितीय चतुर्भंगी) १. आनुपूर्वी अवक्तव्यक, ४. आनुपूर्वी —अनानुपूर्वियां२. आनुपूर्वी अनेक अवक्तव्यक, अनेक अवक्तव्यक, ३. आनुपूर्वियां अवक्तव्यक, ५. आनुपूर्वियां अनानुपूर्वी४. आनुपूर्वियां अनेक
अवक्तव्यक, अवक्तव्यक।
६. आनुपूर्वियां अनानुपूर्वी ___ (तृतीय चतुर्भंगी) __ अनेक अवक्तव्यक, १. अनानुपूर्वी-अवक्तव्यक, ७. आनुपूर्वियां अनानुपूर्वियां२. अनानुपूर्वी अनेक
अवक्तव्यक, अवक्तव्यक,
८. आनुपूर्वियां अनानुपूर्वियां३. अनानुपूर्वियां अवक्तव्यक, अनेक अवक्तव्यक, ४. आनुपूर्वियां अनेक
अवक्तव्यक।
कुल मिलाकर बारह भंग होते हैं। इन भंगों का समुत्कीर्तन—वर्णन इसलिए किया जाता है कि असंयोगी छह और संयोगज बीस भंगों में से वक्ता जिस भंग से द्रव्य की विवक्षा करना चाहता है, वह उस भंग से विवक्षित द्रव्य को कहे। इसी कारण यहां नैगम-व्यवहारनयसम्मत समस्त भंगों का कथन करने के लिए इन भंगों का समुत्कीर्तन किया है।
१०२. एयाए णं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं ?