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अनुयोगद्वारसूत्र विवेचन— सूत्र में द्रव्य-उपक्रम की व्याख्या तो की है, लेकिन कतिपय विषयों के लिए संकेत मात्र किया है, जिसका स्पष्टीकरण इस प्रकार जानना चाहिए
भूतकालीन अथवा भविष्यत्कालीन उपक्रम की पर्याय को वर्तमान में उपक्रम रूप से कहना द्रव्य-उपक्रम है। इसके भी द्रव्यावश्यक के भेदों की तरह आगम और नोआगम को आश्रित करके दो भेद हैं। उनमें से उपक्रम के अर्थ का अनुपयुक्त ज्ञाता आगम की अपेक्षा द्रव्योपक्रम है और नोआगम को आश्रित करके ज्ञायकशरीर, भव्यशरीर तथा दोनों से व्यतिरिक्त, ये तीन भेद होते हैं। उनमें उपक्रम के अनुपयुक्त ज्ञाता का निर्जीव शरीर नोआगमज्ञायकशरीरद्रव्योपक्रम तथा जिस प्राप्त शरीर से जीव आगे उपक्रम के अर्थ को सीखेगा वह भव्यशरीरद्रव्यउपक्रम है और इन दोनों से व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्योपक्रम का सूत्र में इस प्रकार से संकेत किया है
जिस उपक्रम का विषय सचित्तद्रव्य है, अचित्तद्रव्य है और सचित्त-अचित्त दोनों प्रकार का द्रव्य है, उसे अनुक्रम से उभय-व्यतिरिक्त सचित्तद्रव्योपक्रम, अचित्तद्रव्योपक्रम और मिश्रद्रव्योपक्रम जानना चाहिए। इनका विशेषता के साथ स्पष्टीकरण आगे किया जा रहा है। सचित्तद्रव्योपक्रम
७९. से किं तं सचित्तदव्वोवक्कमे ?
सचित्तदव्वोवक्कमे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा–दुपयाणं १ चउप्पयाणं २ अपयाणं ३ । एक्केक्के दुविहे—परिकम्मे य १ वत्थुविणासे य २ ।
[७९ प्र.] भगवन् ! सचित्तद्रव्योपक्रम का क्या स्वरूप है ? __ [७९ उ.] आयुष्मन् ! सचित्तद्रव्योपक्रम तीन प्रकार का कहा है। यथा—१. द्विपद—मनुष्यादि दो पैर वाले द्रव्यों का उपक्रम, २. चतुष्पद—चार पैर वाले पशु आदि का उपक्रम, ३. अपद—बिना पैर वाले वृक्षादि द्रव्यों का उपक्रम। ये प्रत्येक उपक्रम भी दो-दो प्रकार के हैं—१. परिकर्मद्रव्योपक्रम, २. वस्तुविनाशद्रव्योपक्रम।
८०. से किं तं दुपए उवक्कमे ?
दुपए उवक्कमे दुपयाणं नडाणं नट्टाणं जल्लाणं मल्लाणं मुट्ठियाणं वेलंबगाणं कहगाणं पवगाणं लासगाणं आइक्खगाणं लंखाणं मंखाणं तूणइल्लाणं तुंबवीणियाणं कायाणं मागहाणं । से तं दुपए उवक्कमे ।
[८० प्र.] भगवन् ! द्विपद-उपक्रम का क्या स्वरूप है ?
[८० उ.] आयुष्मन् ! नटों, नर्तकों, जल्लों (रस्सी पर खेल करने वालों), मल्लों, मौष्टिकों (मुट्ठी से प्रहार करने वालों, पंजा लड़ाने वालों), वेलबकों (विदूषकों, बहुरुपियों), कथकों (कथा कहानी कहने वालों), प्लवकों (छलांग लगाने वालों, तैरने वालों), लासकों (हास्योत्पादक क्रियायें करने वालों, भांडों), आख्यायकों (शुभाशुभ बताने वालों), लंखों (बांस आदि पर चढ़कर खेल दिखाने वालों), मंखों (चित्रपट दिखाने वाले भिक्षुओं), तूणिकों (तंतुवाद्य-वादकों), तुंबवीणकों (तुम्बे की वीणा-वादकों), कावडियाओं तथा मागधों (मंगलपाठकों) आदि दो पैर वालों का परिकर्म और विनाश करने रूप उपक्रम आयोजन द्विपदद्रव्योपक्रम है।