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________________ मतिज्ञान] [१११ पर जल्दी-जल्दी रखने के लिये भी मिट्टी का उतना ही पिण्ड उठाता है, जितने से घट बनता है। (१२) चित्रकार—कुशल चित्रकार अपनी तूलिका के द्वारा फूल, पत्ती, पेड़, पौधे, नदी अथवा झरने आदि के ऐसे चित्र बनाता है कि उनमें असली-नकली का भेद करना कठिन हो जाता है। वह पशु-पक्षी अथवा मानव के चित्रों में भी प्राण फूंक देता है। क्रोध, भय, हास्य तथा घृणा आदि के भाव चेहरों पर इस प्रकार अंकित करता है कि देखने वाला दंग रह जाये। उल्लिखित सभी उदाहरण कार्य करते-करते अभ्यास से समुत्पन्न कर्मजा बुद्धि के परिचायक हैं। ऐसी बुद्धि ही मानव को अपने व्यवसाय में दक्ष बनाती है। (४) पारिणामिकी बुद्धि का लक्षण ५२. अणुमान-हेउ-दिळेंतसाहिआ, वय-विवाग-परिणामा । हिय-निस्सेयस फलवई, बुद्धी परिणामिया नाम ॥ ५२–अनुमान, हेतु और दृष्टान्त से कार्य को सिद्ध करने वाली, आयु के परिपक्व होने से पुष्ट, लोकहितकारी तथा मोक्षरूपी फल प्रदान करने वाली बुद्धि पारिणामिकी कही गई है। ___ पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण ५३. अभए सिट्ठी कुमारे, देवी उदियोदए हवइ राया। साहू य नंदिसेणे, धणदत्ते सावग अमच्चे ॥ खमए अमच्चपुत्ते चाणक्के चेव थूलभद्दे य । नासिक्क सुंदरीनंदे, वइरे परिणाम बुद्धीए ॥ चलणाहण आमंडे, मणी य सप्पे य खाग्गिथूभिंदे । परिणामिय-बुद्धीए, एवमाई उदाहरणा ॥ से त्तं अस्सुयनिस्सियं। ५३ (१) अभयकुमार, (२) सेठ, (३) कुमार, (४) देवी, (५) उदितोदय, (६) साधु और नन्दिघोष, (७) धनदत्त, (८) श्रावक, (९) अमात्य, (१०) क्षपक, (११) अमात्यपुत्र, (१२) चाणक्य, (१३) स्थूलिभद्र, (१४) नासिक का सुन्दरीनन्द, (१५) वज्रस्वामी, (१६) चरणाहत, (१७) आंवला, मणि (१९) सर्प (२०) गेंडा (२१) स्तूप-भेदन। ये सभी उदाहरण पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण हैं। __ अश्रुतनिश्रित मतिज्ञान का निरूपण पूर्ण हुआ। (१) अभयकुमार— बहुत समय पहले उज्जयिनी नगरी में राजा चण्डप्रद्योतन राज्य करता था। एक बार उसने अपने साढूभाई और राजगृह के राजा श्रेणिक को दूत द्वारा कहलवा भेजा—'अगर अपना और राज्य का भला चाहते हो तो अनुपम बंकचूड़ हार, सेचनक हाथी, अभयकुमार पुत्र अथवा
SR No.003467
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMadhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_nandisutra
File Size17 MB
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