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[नन्दीसूत्र निकलेगा?' भूवेत्ता ने परिमाण बताया। उसी के अनुसार किसान ने भूमि में कुंआ खोद लिया किन्तु पानी नहीं निकला। किसान पुनः भूवेत्ता के पास जाकर बोला "आपके निर्देशानुसार मैने कुआ खोद डाला। किन्तु पानी नहीं निकला।" भूमि परीक्षक ने खोद हुए कुंए के पास जाकर बारीकी से निरीक्षण किया और तब किसान से कहा "इसके पार्श्व भूभाग पर एड़ी से प्रहार करो।" किसान ने वही किया और चकित रह गया, यह देखकर कि उस छोटे से स्थान से पानी का स्रोत मानो बाँध तोड़कर
निकला है। किसान ने भूवेत्ता की वैनयिकी बुद्धि का चमत्कार देखकर उसकी बहुत प्रशंसा की तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार द्रव्य भेंट किया।
(६) अश्व एक बार बहुत से व्यापारी द्वारका नगरी में अपने घोड़े बेचने के लिए गए। नगर के कई राजकुमारों ने मोटे-ताजे और डील-डौल से बड़े देखकर घोड़े खरीद लिये, किन्तु वासुदेव नामक एक युवक ने जो अश्व-परीक्षा में पारंगत था, एक दुबला-पतला घोड़ा खरीदा। आश्चर्य की बात यह थी कि जब घुड़दौड़ होती तो वासुदेव का घोड़ा ही सबसे आगे रहता था, सभी मोटे-ताजे घोड़े पीछे रह जाते। इसका कारण वासुदेव की अश्वपरीक्षा की प्रवीणता थी। यह विद्या उसने अपने कलाचार्य से बहुत विनयपूर्वक सीखी थी। विनय द्वारा ही बुद्धि तीक्ष्ण होती है तथा सीखे जाने वाले विषय का पूर्ण ज्ञान होता है।
(७) गर्दभ किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। वह यवा था। उसने सोचा कि वावस्था श्रेष्ठ होती है और यवक ही अधिक परिश्रम कर सकता है। यह विचार आते ही उसने अपनी सेना के समस्त अनुभवी एवं वृद्ध योद्धाओं को हटाकर तरुण युवकों को अपनी सेना में भर्ती किया।
__ एक बार वह अपनी जवानों की सेना के साथ किसी राज्य पर आक्रमण करने जा रहा था किन्तु मार्ग भूल गया और एक बीहड़ वन में जा फंसा। बहुत खोजने पर भी रास्ता नहीं मिला। सभी प्यास के कारण छटपटाने लगे। पानी कहीं भी दिखाई नहीं दिया। तब किसी व्यक्ति ने राजा ' से प्रार्थना की "महाराज! हमें तो इस विपत्ति से उबरने का कोई मार्ग नहीं सूझता, कोई अनुभवी वयोवृद्ध हो तो वही संकट टाल सकता है।" यह सुनकर राजा ने उसी समय घोषणा करवाई सैन्यदल में अगर कोई अनुभवी व्यक्ति हो तो वह हमारे समक्ष आकर हमें सलाह प्रदान करे।'
सौभाग्यवश सेना में एक वयोवृद्ध योद्धा छद्मवेश में आया हुआ था, जिसे उसका पितृभक्त सैनिक पुत्र लाया था। वह राजा के समीप आया और राजा ने उससे प्रश्न किया "महानुभाव! मेरी सेना को जल-प्राप्त हो सके ऐसा उपाय बताइये।" वृद्ध पुरुष ने कुछ क्षण विचार करके कहा-"महाराज! गधों को छोड़ दीजिए। वे जहाँ पर भूमि को सूचेंगे वहीं सेना के लिए जल प्राप्त हो जायेगा।" राजा ने ऐसा ही किया तथा जल प्राप्त कर सभी सैनिक तरोताजा होकर अपने गन्तव्य की ओर चल पड़े। यह स्थविर पुरुष की वैनयिकी बुद्धि के द्वारा सम्भव हुआ।
(८) लक्षण— एक व्यापारी ने अपने घोड़ों की रक्षा के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त किया और वेतन के रूप में उसे दो घोड़े देने को कहा। व्यक्ति ने इसे स्वीकार कर लिया तथा घोड़ों