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मतिज्ञान]
[८३ राजा की ऐसी निराली शर्तों को सुनकर वहाँ जितने भी व्यक्ति उपस्थित थे मानो सभी को साँप सूंघ गया। कोई नहीं सोच सका कि ऐसी अद्भुत शर्ते पूरी हो सकेंगी। किन्तु रोहक ने हार नहीं मानी। वह निश्चिन्ततापूर्वक धीरे-धीरे राजमहल से बाहर निकला और अपने गाँव की ओर बढ़ गया। उसने अनुकूल समय की प्रतीक्षा की और अमावस्या तथा प्रतिपदा की सन्धि के पूर्व कण्ठ तक स्नान किया। सन्ध्या के समय सिर पर चालनी का छत्र धारण करके मेंढे पर बैठकर गाड़ी के पहिये के बीच के मार्ग से राजा के पास चल दिया। साथ ही राजदर्शन, देवदर्शन एवं गुरुदर्शन खाली हाथ नहीं करना चाहिए, इस नीतिवचन को ध्यान में रखते हुए हाथ में एक मिट्टी का ढेला भी ले आया।
राजा की सेवा में पहुँचकर उसने उचित रीति से नमस्कार किया तथा मिट्टी का ढेला उनके समक्ष रख दिया। राजा ने चकित होकर पूछा-"यह क्या है?" रोहक ने विनयपूर्वक उत्तर दिया-“देव! आप पृथ्वीपति हैं, अतः मैं पृथ्वी लाया हूँ।"
रोहक के मांगलिक वचन सुनकर राजा अत्यन्त प्रमुदित हुआ और उसे अपने पास रख लिया। गाँववाले भी अपने-अपने घरों को लौट गये। रात्रि में राजा ने रोहक को अपने पास ही सुलाया। प्रथम प्रहर व्यतीत होने के पश्चात् दूसरे प्रहर में राजा की नींद खुली और उन्होंने रोहक को सम्बोधित करते हुए पूछा "रोहक! जाग रहा है या सो रहा है?" रोहक ने उसी समय उत्तर दिया "जाग रहा हूँ महाराज!"
"क्या सोच रहा है?"राजा ने फिर पूछा। रोहक ने कहा "मैं सोच रहा हूँ कि अजा (बकरी) के उदर में गोल-गोल मिंगनियाँ कैसे बन जाती हैं?" राजा को इसका उत्तर नहीं सूझा। उसने रोहक से ही पूछ लिया-"क्या सोचा? वे कैसे बनती हैं?" रोहक बोला—"देव!" बकरी के उदर में संवर्त्तक नामक एक विशेष प्रकार की वायु होती है, उसी के कारण मिंगनियां गोलगोल हो जाती हैं।" यह कहकर रोहक सो गया।
(१२) पत्र-रात के तीसरे प्रहर में राजा ने फिर पूछ लिया "रोहक, जाग रहा है?" रोहक अविलम्ब बोल उठा—"जाग रहा हूँ स्वामी!" राजा के फिर यह पूछने पर कि क्या सोच रहा है, रोहक ने कहा
"मैं यह सोच रहा हूँ कि पीपल के पत्ते का डंठल बड़ा होता है या शिखा?" राजा संशय में पड़ गया और रोहक से ही उसका निवारण करने के लिए कहा। रोहक ने उत्तर दिया- "जब तक शिखा का भाग नहीं सूखता तब तक दोनों तुल्य होते हैं।" उत्तर देकर राजा के सोने के पश्चात् वह भी सो गया।
(१३) खाडहिला (गिलहरी)-रात्रि का चतुर्थ प्रहर चल रहा था कि अचानक राजा ने रोहक को फिर पुकार लिया। रोहक जाग ही रहा था। राजा ने पूछा-"क्या सोच रहा है?" रोहक बोला—“सोच रहा हूँ कि गिलहरी की पूंछ उसके शरीर से बड़ी होती है या छोटी?" राजा ने इसका भी निर्णय उसी से पूछा। रोहक बोला"देव, दोनों बराबर होते हैं।" उत्तर देकर वह पुनः सो गया।