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________________ मतिज्ञान] [८१ राजा की यह अनोखी आज्ञा सुनकर लोग किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये। उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया कि अब क्या करें? कैसे बिना गिने ही तिलों की संख्या बताएँ? पर उन्हें रोहक का ध्यान आया और दौड़े-दौड़े वे उसी के पास पहुँचे। रोहक गाँववालों की बात अर्थात् राजाज्ञा सुनकर कुछ क्षण मौन रहा, फिर बोला-आप लोग जाकर महाराज से कह देना कि हम गणित के विद्वान् तो नहीं हैं, फिर भी तिलों की संख्या उपमा के द्वारा बताते हैं। वह इस प्रकार हैं-'इस उज्जयिनी नगरी के ऊपर बिल्कुल सीध में आकाश में जितने तारे हैं, ठीक उतनी ही संख्या इस ढेर में तिलों की हैं।' ग्रामीण लोगों ने प्रसन्न होते हुए राजा के पास जाकर यही कह दिया। राजा ने रोहक की बुद्धिमत्ता देखकर दाँतों तले अंगुली दबाई और मन ही मन प्रसन्न हुआ। (६) बालुका—कुछ दिन के बाद राजा ने पुनः रोहक की परीक्षा करने के लिए उसके गाँव वालों को आदेश दिया कि 'तुम्हारे गाँव के आसपास बढ़िया रेत है। उस बालू रेत की एक डोरी बनाकर शीघ्र भेजो।' बेचारे नट घबराये, भला बालू रेत की डोरी कैसे बट सकती थी? पर वहाँ रोहक जो था, उसने चुटकी बजाते ही उन्हें मुसीबत से उबार लिया। उसी के कथनानुसार गाँववालों ने जाकर राजा से प्रार्थना की "महाराज! हम तो नट हैं, बाँसों पर नाचना ही जानते हैं। डोरी बनाने का काम कभी किया नहीं। फिर भी आपकी आज्ञा का पालन करने का प्रयत्न अवश्य करेंगे। कृपा करके आप अपने भण्डार में से रेत की बनी हुई डोरी का एक नमूना दिलवा दें।" राजा अब क्या उत्तर देता? मन ही मन कटकर रह गया। रोहक की बुद्धि के सामने उसकी अपनी अकल पानी भरने लगी। (७) हस्ती-एक दिन राजा ने एक वृद्ध ही नहीं अपितु मरणासन्न हाथी नटों के गाँव में भेज दिया और कहलवाया—'इस हाथी की अच्छी तरह सेवा करो और प्रतिदिन इसके समाचार मेरे पास भेजते रहो, पर कभी आकर यह मत कहना कि वह मर गया है, अन्यथा दंड दिया जायेगा।' लोगों ने फिर रोहक से सलाह ली। रोहक ने उत्तर दिया-"हाथी को अच्छी खुराक देते रहो, आगे जो होगा, मैं सम्हाल लूंगा।" यही किया गया। हाथी को शाम को उसके अनुकूल खुराक दी गई किन्तु वह रात्रि को ही मर गया। लोग घबराए कि अब राजा को जाकर क्या समाचार दें ? किन्तु रोहक ने उन्हें तसल्ली दी और उसके निर्देशानुसार ग्रामवासियों ने जाकर राजा से कहा "महाराज। आज हाथी न कुछ खाता है, न पीता है, न उठता है, न ही कुछ चेष्टा करता है। यहाँ तक कि वह आज सांस भी नहीं लेता।" राजा ने कुपित होते हुए पूछा "तो क्या हाथी मर गया?" ग्रामीण बोले "प्रभु! हम ऐसा कैसे कह सकते हैं, ऐसा तो आप ही फरमा सकते हैं।" राजा ने समझ लिया कि हाथी मर गया किन्तु रोहक की चतुराई से गांववालों ने यही बात अन्य प्रकार से समझाई है। राजा चुप हो गया। गाँववासी भी जान बचाकर सहर्ष अपने घरों की
SR No.003467
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMadhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_nandisutra
File Size17 MB
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