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________________ विषयानुक्रम / ९३ संतुष्ट एवं प्रभावित श्रेणिक राजा द्वारा महिमागानादि ३३० उपसंहार ३३१ इक्कीसवाँ अध्ययन : समुद्रपालीय अध्ययन-सार पालित श्रावक और पिहुण्ड नगर में व्यापार निमित्त निवास " पिहुण्ड नगर में विवाह समुद्रपाल का जन्म समुद्रपाल का संवर्द्धन, शिक्षण एवं पाणिग्रहण समुद्रपाल की विरक्ति और दीक्षा महर्षि समुद्रपाल द्वारा आत्मा को स्वयं स्फुरित मुनिधर्मशिक्षा उपसंहार बाईसवाँ अध्ययन स्थनेमीय ३३२ ३३४ ३३५ ३३५ ३३६ ३३७ ३४१ अध्ययन-सार ३४२ तीर्थकर अरिष्टनेमि का परिचय ३४४ राजीमती के साथ वाग्दान, बरात के साथ प्रस्थान ३४५ अवरुद्ध आर्च पशु-पक्षियों को देखकर करुणामग्न अरिष्टनेमि ३४८ अरिष्टनेमि द्वारा प्रव्रज्याग्रहण ३५० प्रथम शोकमग्न और तत्पश्चात् प्रव्रजित राजीमती ३५१ राजीमती द्वारा भग्नचित्त रथनेमि का संयम में स्थिरीकरण ३५४ ३५८ ३५८ रथनेमि पुनः संयम में दृढ उपसंहार तेईसवाँ अध्ययन केशी- गौतमीय : अध्ययन-सार पार्श्व जिन और उनके शिष्य केशी श्रमण : संक्षिप्त परिचय भगवान महावीर और उनके शिष्य गौतम : संक्षिप्त परिचय दोनों शिष्यसंघों में धर्मविषयक अन्तर सम्बन्धी शंकाएँ दोनों का मिलन : क्यों और कैसे? प्रथम प्रश्नोत्तर चातुर्यामधर्म और पंचमहाव्रतधर्म : में अन्तर का कारण ३५९ ३६१ ३६२ ३६३ ३६६ ३६७ ३६९ द्वितीय प्रश्नोत्तर: अचेलक और विशिष्टचेलक धर्म के अन्तर का कारण तृतीय प्रश्नोत्तर: शत्रुओं पर विजय के सम्बन्ध में ३७१ चतुर्थ प्रश्नोत्तर: पाशबन्धों को तोड़ने के सम्बन्ध में ३७३ पंचम प्रश्नोत्तर: तृष्णारूपी लता को उखाड़ने के सम्बन्ध में ३७४ ३७६ छठा प्रश्नोत्तर: कपायाग्नि बुझाने के सम्बन्ध में ३७५ सातव प्रश्नोत्तर: मनोनिग्रह के सम्बन्ध में आठवाँ प्रश्नोत्तर: कुपथ - सत्पथ के विषय में नौवाँ प्रश्नोत्तर: धर्मरूपी महाद्वीप के सम्बन्ध में ३७८ दसवीं प्रश्नोत्तर: महासमुद्र को नौका से पार ३७६ करने के सम्बन्ध में ३७९ ग्यारहवाँ प्रश्नोत्तर: अन्धकाराच्छन्न लोक में प्रकाश करने वाले के सम्बन्ध में बारहवाँ प्रश्नोत्तर क्षेम, शिव और अनाबाध स्थान के विषय में केशी कुमार द्वारा गौतम को अभिवन्दन एव पंचमहाव्रतधर्म स्वीकार अध्ययन-सार अष्ट प्रवचनमाताएँ चार करणों से परिशुद्धि ईर्यासमिति भाषासमिति एषणासमिति उपसंहार दो महामुनियों के समागम का फल : चौवीसवाँ अध्ययन प्रवचनमाता : आदान-निक्षेपणसमिति विधि - परिष्ठापनासमिति प्रकार और विधि समिति का उपसंहार और गुप्तियों का प्रारम्भ मनोगुप्ति प्रकार और विधि वचनगुप्ति प्रकार और विधि कार्यगुप्ति प्रकार और विधि समिति और गुप्ति में अन्तर प्रवचनमाताओं के आचरण का सुफल पच्चीसवाँ अध्ययन यज्ञीय : ३८० अध्ययन-सार जयघोष ब्राह्मण से यमयायाजी महामुनि : ३८१ ३८३ ३८३ ३८५ ३८७ ३८८ ३९० ३९० ३९१ ३९१ ३९३ ३९३ ३९३ ३९४ ३९४ ३९५ ३९६ ३९७
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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