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________________ आत्मान्वेषक ब्रह्मचर्यनिष्ठ के लिए दस तालपुर विष समान ब्रह्मचर्य समाधिमान् के लिए कर्त्तव्यप्रेरणा ब्रह्मचर्य महिमा सत्रहवाँ अध्ययन : पापश्रमणीय अध्ययन-सार पापश्रमण : ज्ञानाचार में प्रमादी दर्शनाचार में प्रमादी पापश्रमण चारित्राचार में प्रमादी : पापश्रमण तप आचार में प्रमादी : पापश्रमण - वीर्याचार में प्रमादी : पापश्रमण सुविहित श्रमण द्वारा उभयलोकाराधना उत्तराध्यचन / ९२ अठारहवाँ अध्ययन : संजयीय क्षमायाचना मुनि के मौन से राजा की भयाकुलता मुनि के द्वारा अभयदान, अनासक्ति एवं अनित्यता आदि का उपदेश २५१ २५१ २५२ अध्ययन-सार २६० संजय राजा का शिकार के लिए प्रस्थान एवं मृगवध २६१ २६१ ध्यानस्थ अनगार के समीप राजा द्वारा मृगवध मुनि को देखते ही राजा द्वारा पश्चात्ताप और २५३ २५४ २५५ २५५ २५७ २५८ २५९ भरत चक्रवर्ती इसी उपदेश से प्रव्रजित हुए सगर चक्रवर्ती को संयमसाधना से निर्वाणप्राप्ति चक्रवर्ती मघवा ने प्रव्रज्या अंगीकार की सनत्कुमार चक्रवर्ती द्वारा तपश्चरण शान्तिनाथ चक्रवर्ती को अनुत्तरगति-प्राप्ति कुन्थुनाथ की अनुत्तरगति प्राप्ति अरनाथ की संक्षिप्त जीवनगाथा महापद्म चक्रवर्ती द्वारा तपश्चरण २६२ २६३ विरक्त संजय राजा जिनशासन में प्रव्रजित क्षत्रिय मुनि द्वारा संजय राजर्षि से प्रश्न संजय राजर्षि द्वारा परिचयात्मक उत्तर क्षत्रिय मुनि द्वारा क्रियावादी आदि के विषय में चर्चा- विचारणा परलोक के अस्तित्व का प्रमाण : अपने अनुभव से २६९ क्षत्रियमुनि द्वारा क्रियावाद से सम्बन्धित उपदेश २६९ २६७ २७० २६३ २६५ २६५ २६६ २७२ २७३ २७४ २७५ २७६ २७६ हरिषेण चक्रवर्ती जय चक्रवर्ती ने मोक्ष प्राप्त किया दशार्णभद्र राजा का निष्क्रमण नमि राजर्षि की धर्म में सुस्थिरता चार प्रत्येकबुद्ध जिनशासन में प्रव्रजित हुए सौवीरनृप उदायन काशीराज द्वारा कर्मक्षय विजय राजा राज्य त्याग कर प्रव्रजित महाबल राजर्षि ने सिद्धिपद प्राप्त किया क्षत्रिय मुनि द्वारा सिद्धान्तसम्मत उपदेश उन्नीसवाँ अध्ययन : मृगापुत्रीय २७८ २७८ २७८ २७९ २८० २८३ २८४ २८४ अध्ययन-सार २८७ मृगापुत्र का परिचय २८९ मुनि को देखकर मृगापुत्र को पूर्वजन्म का स्मरण २९० विरक्त मृगापुत्र द्वारा दीक्षा की अनुज्ञा-याचना मृगापुत्र की वैराग्यमूलक उक्तियाँ २९१ २९१ माता-पिता द्वारा श्रमणधर्म की कठोरता बताकर उससे विमुख करने का उपाय मृगापुत्र द्वारा नरक के अनन्त दुःखों के अनुभव का निरूपण २८५ २८६ मुनि द्वारा अपनी अनाथता का प्रतिपादन अनाथता से सनाथताप्राप्ति की कथा अन्य प्रकार की अनाथता महानिर्ग्रन्थपथ पर चलने का निर्देश और उसका महाफल २९५ माता-पिता द्वारा अनुमति, किन्तु चिकित्सासमस्या प्रस्तुत ३०५ मृगापुत्र द्वारा मृगचर्या से निष्प्रतिकर्मता का समर्थन ३०६ संयम की अनुमति और मृगचर्या का संकल्प मृगापुत्र श्रमण निर्ग्रन्थ रूप में २९९ महर्षि मृगापुत्र : अनुत्तरसिद्धिप्राप्त महर्षि मृगापुत्र के चारित्र से प्रेरणा वीसवाँ अध्ययन : महानिर्गन्धीय अध्ययन-सार ३१३ अध्ययन का प्रारम्भ ३१५ मुनिदर्शनानन्तर श्रेणिक राजा की जिज्ञासा ३१५ मुनि और राजा के सनाथ - अनाथ सम्बन्धी प्रश्नोत्तर ३१७ ३२० ३०७ ३०९ ३१० ३१२ ३२२ ३२५ ३२९
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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