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विषयानुक्रम / ९९
दशम अध्ययन : द्रुमपत्रक
अध्ययन-सार
मनुष्यजीवन की नश्वरता, अस्थिरता और अप्रमाद का उद्बोधन
:
मनुष्यजन्म की दुर्लभता प्रमादत्याग का उपदेश मनुष्यजन्मप्राप्ति के बाद भी कई कारणों से धर्माचरण की दुर्लभता बताकर प्रमादत्याग की प्रेरणा १५५ इन्द्रियबल की क्षीणता एवं प्रमादत्याग की उपदेश १५७ अप्रमाद में बाधक तत्त्वों से दूर रहने का उपदेश १५८
ग्यारहवाँ अध्ययन बहुश्रुतपूजा
१४९
१५२
१५३
अध्ययन-सार
१६२
अध्ययन का उपक्रम
१६४
बहुश्रुत का स्वरूप और माहात्म्य
१६९
बहुश्रुतता का फल एवं बहुश्रुतताप्राप्ति का उपाय १७४
बारहवाँ अध्ययन हरिकेशीय
उसका पालन
भद्रा द्वारा कुमारों को समझाना, मुनि का यथार्थ परिचय प्रदान
अध्ययन-सार
१७३ १७९
हरिकेश बल मुनि का परिचय
मुनि को देखकर ब्राह्मणों द्वारा अवज्ञा एवं उपहास १८० यक्ष द्वारा मुनि का परिचयात्मक उत्तर
१८२
यज्ञशालाधिपति रुद्रदेव
१८३
ब्राह्मणों द्वारा मुनि को मारने-पीटने का आदेश तथा
१८६
१८६
१९२
१९३
चित्र और संभूत का समागम और पूर्वभवों
अध्ययन-सार
दस ब्रह्मचर्य समाधिस्थान और उनके अभ्यास
यक्ष द्वारा कुमारों की दुर्दशा और भद्रा द्वारा • पुनः प्रबोध
का निर्देश
१८७
प्रथम ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान
द्वितीय ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान
१८९
छात्रों की दुर्दशा से व्याकुल रुद्रदेव द्वारा मुनि से क्षमायाचना तथा आहारग्रहण की प्रार्थना आहारग्रहण के बाद देवों द्वारा पंच दिव्यवृष्टि और ब्राह्मणों तृतीय ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान द्वारा मुनिमहिमा
१९१
चतुर्थ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान
पंचम ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान
मुनि और ब्राह्मणों की यज्ञ-स्नानादि के विषय में चर्चा
तेरहवाँ अध्ययन : चित्र - सम्भूतीय
छठा ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान सातवाँ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान आठवाँ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान नौवाँ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान दसवाँ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान
अध्ययन-सार
संभूत और चित्र का पृथक्-पृथक् नगर और कुल में जन्म
दस समाधिस्थानों का पारूप में विवरण
२०१
का स्मरण
चित्र मुनि और ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती का एक दूसरे को अपनी ओर खींचने का प्रयास
ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती और चित्र मुनि की गति चौदहवाँ अध्ययन इषुकारीय
२०२
२०३
२०८
अध्ययन-सार
प्रस्तुत अध्ययन के छह पात्रों का पूर्वजन्म एवं वर्तमान जन्म का सामान्य परिचय विरक्त पुरोहितकुमारों की पिता से दीक्षा की अनुमति
पुरोहित और उसके पुत्रों का संवाद
प्रबुद्ध पुरोहित, अपनी पत्नी से
पुरोहित परिवार के दीक्षित होने पर रानी और राजा की प्रतिक्रिया एवं प्रतिबुद्धता
राजा रानी की प्रव्रज्या एवं छहों आत्माओं की क्रमशः मुक्ति
पन्द्रहवाँ अध्ययन सभिक्षुकम्
२१०
२१३
२१४
२१५
२२२
२२४
२२७
'अध्ययन-सार
भिक्षु के लक्षण ज्ञान-दर्शन- चारित्रात्मक जीवन के रूप में
२३०
सोलहवाँ अध्ययन ब्रह्मचर्य समाधिस्थल
२३८
२२९
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२४०
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