________________
उत्तराध्ययन/ ९०
विषयों के प्रति रागद्वेष एवं कषायों से आत्मरक्षा की प्रेरणा
अधर्मी जनों से सदा दूर रह कर अन्तिम समय तक आत्मगुणाराधना करे
पंचम अध्ययन अकाममरणीय
अध्ययन-सार
मरण के दो प्रकारों का निरूपण
अकाममरणः स्वरूप, अधिकारी, स्वभाव और
दुष्परिणाम
सकाममरणः स्वरूप, अधिकारी अनधिकारी एवं सकाममरणोत्तर स्थिति
सकाममरण प्राप्त करने का उपदेश और उपाय
छठा अध्ययन : निर्ग्रन्थीय
७४
अध्ययन-सार
क्षणिक सुखों के विषय में अल्पजीवी परिपुष्ट मेंढे का रूपक
नरकाकांक्षी एवं मरणकाल में शोकग्रस्त जीव की दशा मेंढे के समान
अल्पकालिक सुखों के लिए दीर्घकालिक सुखों
को हारने वाले के लिए दो दृष्टान्त
तीन वणिकों का दृष्टान्त
मनुष्यभव सम्बन्धी कामभोगों की दिव्य कामभोगों के साथ तुलना
बाल और पण्डित का दर्शन तथा पण्डितभाव स्वीकार करने की प्रेरणा
अष्टम अध्ययन : कापिलीय
अध्ययन-सार
७५
७६
८०
अध्ययन-सार
९२
अविद्या दुःखजननी और अनन्तसंसारभ्रमणकारिणी ९४ अविद्या के विविध रूपों को त्यागने का उपदेश अविद्याजनित मान्यताएँ
८१
९५
९८
विविध प्रमादों से बचकर अप्रमत्त रहने की प्रेरणा ९९ अप्रमत्तशिरोमणि भगवान् महावीर द्वारा कथित अप्रमादोपदेश
सप्तम अध्ययन : उरभीय
८५
९०
.
१०२
१०३
१०५
१०६
१०८
१०९
११३
११४
११५
दुःखबहुल संसार में दुर्गतिनिवारक अनुष्ठान की जिज्ञासा
कपिलमुनि द्वारा पांच सौ चोरों को अनासक्ति का उपदेश
हिंसा से सर्वथा विरत होने का उपदेश
रसासक्ति से दूर रह कर एषणासमितिपूर्वक
आहारग्रहण सेवन का उपदेश
समाधियोग से भ्रष्ट श्रमण और उसका दूरगामी
-
अध्ययन-सार
नमिराज जन्म से अभिनिष्क्रमण तक
:
दुष्परिणाम
१२२
दुष्पूर लोभवृत्ति का स्वरूप और त्याग की प्रेरणा १२३ स्त्रियों के प्रति आसक्तित्याग का उपदेश
१२३
नवम अध्ययन नमिप्रव्रज्या
:
तृतीय प्रश्नोत्तर— नगर को सुरक्षित एवं अजेय बनाने के संबंध में
१२५
१२९
प्रथम प्रश्नोत्तर - मिथिला में कोलाहल का कारण १३० द्वितीय प्रश्नोत्तर - जलते हुए अन्तःपुर- प्रेक्षण संबंधी
चतुर्थ प्रश्नोत्तर – प्रासादादि निर्माण कराने के संबंध में
११७
पंचम प्रश्नोत्तर - चोर डाकुओं से नगररक्षा के संबंध में
११७
११९
छठा प्रश्नोत्तर— उद्दण्ड राजाओं को वश में करने के संबंध में
सप्तम प्रश्नोत्तर यज्ञ ब्राह्मणभोजन, दान और भोग में संबंध में
अष्टम प्रश्नोत्तर— गृहस्थाश्रम में ही धर्मसाधना के संबंध में
नवम प्रश्नोत्तर— हिरण्यादि तथा भण्डार की वृद्धि करने के संबंध में
दशम प्रश्नोत्तर — प्राप्त कामभोगों को छोड़कर अप्राप्त को पाने की इच्छा में संबंध में
१२१
१३२
१३४
१३५
१३७
१३८
१४०
१४१
१४३
१४४
देवेन्द्र द्वारा असली रूप में स्तुति प्रशंसा एवं वन्दना १४६
श्रामण्य में सुस्थित नमि राजर्षि और उनके
दृष्टान्त द्वारा उपदेश
१४८