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________________ विषयानुक्रम प्रथम अध्यय (७) अरतिपरीषह (८) स्त्रीपरीषह विषय (९) चर्यापरीषह अध्ययनसार ३ (१०) निषधापरीषह विनयनिरूपण-प्रतिज्ञा (११) शय्यापरीषह अविनीत दुःशील का स्वभाव (१२) आक्रोशपरीषह विनय का उपदेश और परिणाम ७ (१३) वधपरीषह अनुशासनरूप विनय की दशसूत्री ८ (१४) याचनापरीपह अविनीत और विनीत शिष्य का स्वभाव ९ (१५) अलाभपरीषह विनीत का वाणीविवेक (१६) रोगपरीपह आत्मदमन और परदमन का अन्तर एवं फल (१७) तृणस्पर्शपरीपह अनाशतना-विनय के मूल मन्त्र १२ (१८) जल्लपरीषह विनीत शिष्य को सूत्र-अर्थ-तदुभय बताने का (१९) सत्कार-पुरस्कारपरीषह विधान (२०) प्रज्ञापरीषह विनीत शिष्य द्वारा करणीय भाषाविवेक (२१) अज्ञानपरीषह अकेली नारी के साथ अवस्थान-संलाप-निषेध (२२) दर्शनपरीषह विनीत के लिए अनुशासन-स्वीकार का विधान उपसंहार विनीत की गुरुसमक्ष बैठने की विधि यथाकालचर्या का निर्देश तृतीय अध्ययन : चतुरंगीय भिक्षाग्रहण एवं आहारसेवन की विधि अध्ययन-सार विनीत और अविनीत शिष्य के स्वभाव एवं आचरण से महादुर्लभ चार अंग गुरु प्रसन्न और अप्रसन्न मनुष्यत्व-दुर्लभता के दस दृष्टान्त विनीत को लौकिक और लोकोत्तर लाभ २२ धर्मश्रवण की दुर्लभता द्वितीय अध्ययन : परीषह-प्रविभक्ति धर्मश्रद्धा की दुर्लभता संयम में पुरुषार्थ की दुर्लभता अध्ययनसार २५ दुर्लभ चतुरंग की प्राप्ति का अनन्तर फल परीषह और उनके प्रकार-संक्षेप में २७ दुर्लभ चतुरंग की प्राप्ति का परम्परा फल भगवत्प्ररूपित परीषहविभाग-कथन की प्रतिज्ञा (१) क्षुधापरीषह चतुर्थ अध्ययन : असंस्कृत (२) पिपासापरीपह अध्ययन-सार (३) शीतपरीषह ३१ असंस्कृत जीवन और प्रमाद त्याग की प्रतिज्ञा (४) उष्णपरीषह ३२ प्रमत्तकृत विविध पापकर्मों के परिणाम (५) दंशमशकपरीषह जीवन के प्रारम्भ से अन्त तक प्रतिक्षण (६) अचेलपरीषह ३४ अप्रमाद का उपदेश १८
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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