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________________ ६३५ छत्तीसवाँ अध्ययन : जीवाजीवविभक्ति २३५. चउवीसं सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे। बिइयम्मि जहन्नेण तेवीसं सागरोवमा॥ [२३५] द्वितीय ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति चौवीस सागरोपम की, जघन्य तेईस सागरोपम की है। २३६. पणवीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे। __तइयम्मि जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमा॥ . [२३६] तृतीय ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति पच्चीस सागरोपम की और जघन्य चौवीस सागरोपम की है। २३७. छव्वीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे। चउत्थम्मि जहन्नेणं सागरा पणुवीसई॥ [२३७] चतुर्थ ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति छब्बीस सागरोपम की और जघन्य पच्चीस सागरोपम की है। २३८. सागरा सत्तवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे। पंचमम्मि जहन्नेणं सागरा उ छवीसई॥ [२३८] पंचम ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति सत्ताईस सागरोपम की और जघन्य छब्बीस सागरोपम की है। २३९. सागरा अट्ठवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे। ___ छट्ठम्मि जहन्नेणं सागरा सत्तवीसई॥ [२३९] छठे ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति अट्ठाईस सागरोपम की और जघन्य सत्ताईस सागरोपम की है। २४०. सागरा अउणतीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे। सत्तमम्मि जहन्नेणं सागरा अट्ठवीसई॥ [२४०] सप्तम ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति उनतीस सागरोपम की और जघन्य अट्ठाईस सागरोपम की है। २४१. तीसं तु सागराई उक्कोसेण ठिई भवे। अट्ठमम्मि जहन्नेणं सागरा अउणतीसई॥ [२४१] अष्टम ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति तीस सागरोपम की और जघन्य उनतीस सागरोपम की है। २४२. सागरा इक्कतीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे। नवमम्मि जहन्नेणं तीसई सागरोवमा॥ [२४२] नवम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति इकतीस सागरोपम की और जघन्य तीस सागरोपम की है।
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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