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________________ छत्तीसवाँ अध्ययन : जीवाजीवविभक्ति स्थावर जीव और पृथ्वीकाय का निरूपण ६९. पुढवी आउजीवा य तहेव य वणस्सई । इच्चेए थावरा तिविहा तेसिं भेए सुणेह में ॥ [६९] पृथ्वी, जल और वनस्पति, ये तीन प्रकार के स्थावर हैं। अब उनके भेदों को मुझसे सुनो। ७०. दुविहा पुढवीजावा उ सुहुमा बायरा तहा । पज्जत्तमपजत्ता एवमेए दुहा पुणो ॥ ६०९ [७०] पृथ्वीकाय जीव के दो भेद हैं— सूक्ष्म और बादर । पुनः दोनों के दो-दो भेद हैं- पर्याप्त और अपर्याप्त । ७१. बायरा जे उपज्जत्ता दुविहा ते वियाहिया । सहा खरा य बोद्धव्वा सण्हा सत्तविहा तहिं ॥ [७१] बादर पर्याप्त पृथ्वीकाय भी दो प्रकार के कहे गए हैं— श्लक्ष्ण (मृदु) और खर (कठोर ) । इनमें से मृदु के सात भेद हैं, यथा ७२. किण्हा नीला य रुहिरा य हालिद्दा सुक्किला तहा। खरा छत्तीसईविहा ।। पण्डु-पणगमट्टिया [७२] कृष्ण, नील, रक्त, पीत, श्वेत, पाण्डु (भूरी) मिट्टी और पनक ( अत्यन्त सूक्ष्म रज)। खर (कठोर) पृथ्वी के छत्तीस प्रकार हैं ७३. पुढवी य सक्करा बालुया य उवले सिला य लोणूसे । अय-तम्ब-तय-सीसग-रुप्प - सुवण्णे य वइरे य ॥ ७४. हरियाले हिंगुलुए मणोसिला सासगंजण- पवाले । अब्भपडलऽब्भवालुय बायरकाए मणिविहाणा ॥ ७५. गोमेज्जए य रुयगे अंके फलिहे य लोहियक्खे य। मरगय-मसारगल्ले भुयमोयग - इन्दनीले य॥ ७६. चन्दण - गेरुय - हंसगब्भ-पुलए सोगन्धिए य बोद्धव्वे । चन्दप्पह-वेरुलिए जलकन्ते सूरकन्ते य ॥ [७३ से ७६] शुद्ध पृथ्वी, शर्करा (कंकड़ वाली), बालू, उपल (पत्थर), शिला (चट्टान), लवण, ऊष (क्षाररूप नौनी मिट्टी), लोहा, ताम्बा, त्रपु ( रांगा ), शीशा, चांदी, सोना और वज्र ( हीरा ), हरिताल, हिंगुल (हींगलू), मैनसिल, सस्यक (या सासक, धातुविशेष), अंजन, प्रवाल (मूंगा), अभ्रपटल (अभ्रक) अभ्रबालुक (अभ्रक की परतों से मिश्रित बालू और ये निम्नोक्त) विविध मणियाँ भी बादर पृथ्वीकाय में हैं— गोमेदक, रुचक, लोहिताक्ष, मरकत, मसारगल्ल, भुजमोचक और इन्द्रनील (मणि), चन्दन, गेरुक, हंसगर्भ, पुलक, सौगन्धिक, चन्द्रप्रभ, वैडूर्य, जलकान्त और सूर्यकान्त ।
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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