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________________ उत्तराध्ययन/६८ निषेध किया है। जिसमें तप और संयम का अनुष्ठान होता है, वह भाव यज्ञ है। . ब्राह्मण शब्द की, जो जातिवाचक बन-चुका था, यथार्थ व्याख्या प्रस्तुत अध्ययन में की गई है। जातिवाद पर करारी चोट है। मानव जन्म से श्रेष्ठ नहीं, कर्म से श्रेष्ठ बनता है। जन्म से ब्राह्मण नहीं, कर्म से ब्राह्मण होता है। मुण्डित होने मात्र से कोई श्रमण नहीं होता। ओंकार का जाप करने मात्र से कोई ब्राह्मण नहीं होता। अरण्य में रहने मात्र से मुनि नहीं होता। दर्भ-वल्कल आदि धारण करने-मात्र से कोई तापस नहीं हो जाता। समभाव से श्रमण होता है। ब्रह्मचर्य के पालन से ब्राह्मण, ज्ञान से मुनि एवं तपस्या से तापस होता है। जिस प्रकार प्रस्तुत अध्ययन में ब्राह्मण की परिभाषा की गई है, उसी प्रकार की परिभाषा धम्मपद में भी प्राप्त होती है। उदाहरण के रूप में प्रस्तुत अध्ययन की कुछ गाथाओं के साथ धम्मपद की गाथाओं की तुलना करें - तसपाणे वियाणेत्ता, संगहेण य थावरे। जो न हिंसइ तिविहेणं, तं वयं बम माहणं॥ - [उत्तरा. अ. २५ गा. २२] तुलना कीजिए - निधाय दंडं भूतेसु, तसेसु थावरेसु च।। यो हन्ति न घातेति, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं ॥ - [धम्मपद २६/२३,] कोहा व जइ वा हासा, लोहा वा जइ वा भया। मुसं न वयई जो उ, तं वयं बूम माहणं॥ - [उत्तरा. अ. २५/२३] तुलना कीजिये अकक्कसं विज्ञापनि गिरं सच्चं उदीरये। याय नाभिसजे कंचि तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥ -[धम्मपद २६/२६] जहा पोम्मं जले जायं नोवलिप्पई वारिणा। एवं अलित्तो कामेहि, तं वयं बूम माहणं॥ -[उत्तरा. २५/२७] तुलना कीजिये वारिपोक्खरपत्ते व आरग्गेरिव सासपो। यो न लिम्पति कामेसु, तमहं ब्रूमि ब्राह्मणं॥ -[धम्मपद २६/१९] न वि मुण्डिएण समणो, न ओंकारेण बम्भणो। न मुणी रण्णवासेणं, कुसचीरेण न तावसो॥ -[उत्तराध्ययन २५/३१] तुलना कीजिये न मुण्डकेण समणो, अब्बतो अलिकं भणं। इच्छालोभसमापन्नो, समणो किं भविस्सति ॥ न तेन भिक्खु सो होति, यावता भिक्खते परे। विसं धम्म समादाय, भिक्खु होति न तावता॥ -[धम्मपद १९/९, ११] न जटाहि न गोत्ते हि, न जच्चा होति ब्राह्मणो। मौनाद्धि स मुनिर्भवति, नारण्यवसनान्मुनिः॥ -[उद्योगपर्व-४३/३५]
SR No.003466
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_uttaradhyayan
File Size16 MB
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