________________
५७४
उत्तराध्ययनसूः [३] लेश्याओं के नाम इस प्रकार हैं—१. कृष्ण, २. नील, ३. कापोत, ४. तेजस्, ५. पद्म, ६. शुक्ल। २. वर्णद्वार
४. जीमूयनिद्धसंकासा गवलऽरिट्ठसन्निभा।
खंजणंजण-नयणनिभा किण्हलेसा उ वण्णओ॥ [४] कृष्णलेश्या वर्ण की अपेक्षा से, स्निग्ध (-सजल काले) मेघ के समान, भैंस के सींग एवं रिष्टक (अर्थात्-कौए या अरीठे) के सदृश, अथवा खंजन (गाड़ी के ओंगन), अंजन (काजल या सुरमा) एवं आँखों के तारे (कीकी) के समान (काली) है।
५. नीलाऽसोगसंकासा चासपिच्छसमप्पभा।
वेरुलियनिद्धसंकासा नीललेसा उ वण्णओ॥ [५] नीललेश्या वर्ण की अपेक्षा से नील अशोक वृक्ष के समान, चास-पक्षी की पांख जैसी, अथवा स्निग्ध वैडूर्यरत्न-सदृश (अतिनील) है।
६. अयसीपुष्फसंकासा कोइलच्छदसन्निभा।
पारेवयगीवनिभा काउलेसा उ वण्णओ॥ [६] कोपोतलेश्या वर्ण की अपेक्षा से अलसी के फूल जैसी, कोयल की पांख सरीखी तथा कबूतर की गर्दन (ग्रीवा) के सदृश (अर्थात्—कुछ काली और कुछ लाल) है।
७. हिंगुलुयधाउसंकासा तरुणाइच्चसन्निभा।
सुयतुण्ड-पईवनिभा तेउलेसा उ वण्णओ॥ [७] तेजोलेश्या वर्ण की अपेक्षा से हींगलू तथा धातु-गैरु समान, तरुण (उदय होते हुए) सूर्य के सदृश तथा तोते की चोंच या (जलते हुए) दीपक के समान (लाल रंग की ) है।
८. हरियालभेयसंकासा हलिद्दाभेयसन्नभा।
सणासणकुसुमनिभा पम्हलेसा उ वण्णओ॥ [८] पद्मलेश्या वर्ण की अपेक्षा से हड़ताल (हरिताल) के टुकड़े जैसी, हल्दी के रंग सरीखी तथा सण और असन (बीजक) के फूल के समान (पीली) है।
९. संखंककुन्दसंकासा खीरपूरसमप्पभा।
रययहारसंकासा सुक्कलेसा उ वण्णओ॥ [९] शुक्लेश्या वर्ण की अपेक्षा से शंख, अंकरत्न (स्फटिक जैसे श्वेत रत्नविशेष) एवं कुन्द के फूल के समान है, दूध की धारा के सदृश तथा रजत (चाँदी) और हार (मोती की माला) के समान (सफेद) है।
विवेचन–छह लेश्याओं का वर्ण-एक-एक शब्द में कहें तो कृष्णलेश्या का रंग काला, नीललेश्या का नीला, कापोतलेश्या का कुछ काला कुछ लाल, तेजोलेश्या का लाल, पद्मलेश्या का पीला और शुक्ललेश्या