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________________ अग्रणी साध्वी 'काल करने पर साध्वी का कर्तव्य प्रवर्तिनी के द्वारा पद देने का निर्देश आचारप्रकल्प - विस्मृत को पद देने का विधि-निषेध स्थविर के लिए आचार - प्रकल्प के पुनरावर्तन करने का विधान परस्पर आलोचना करने के विधि - निषेध परस्पर सेवा करने का विधि-निषेध सर्पदंशचिकित्सा के विधि-निषेध पांचवें उद्देशक का सारांश छट्ठा उद्देश स्वजन - परिजन - गृह में गोचरी जाने का विधि-निषेध आचार्य आदि के अतिशय अगीतार्थों के रहने का विधि-निषेध और प्रायश्चित्त अकेले भिक्षु के रहने का विधि-निषेध शुक्रपुद्गल निकालने का प्रायश्चित्तसूत्र अन्य गण से आये हुए को गण में सम्मिलित करने का निषेध छट्ठे उद्देशक का सारांश सातवां उद्देश अन्य-गण से आई साध्वी के रखने में परस्पर पृच्छा सम्बन्धविच्छेद करने सम्बन्धी विधि - निषेध प्रव्रजित करने आदि के विधि-निषेध दूरस्थ क्षेत्र में रहे हुए गुरु आदि के निर्देश का विधि-निषेध कलह-उपशमन के विधि-निषेध व्यतिकृष्टकाल में निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के लिये स्वाध्याय का विधि-निषेध निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी को स्वाध्याय करने का विधि-निषेध शारीरिक अस्वाध्याय होने पर स्वाध्याय का विधि-निषेध निर्ग्रन्थी के लिये आचार्य - उपाध्याय की नियुक्ति की आवश्यकता श्रमण के मृतशरीर को परठने की और उपकरणों को ग्रहण करने की विधि परिहरणीय शय्यातर का निर्णय आज्ञा ग्रहण करने की विधि राज्य - परिवर्तन में आज्ञा ग्रहण करने का विधान सातवें उद्देशक का सारांश ७९ ३५९ ३६१ ३६३ ३६७ ३६८ ३६९ ३७० ३७२ ३७४ ३७६ ३७९ ३८० ३८२ ३८४ ३८६ ३८७ ३८८ ३९० ३९१ ३९२ ३९३ ३९५ ३९६ ३९७ ३९८ ३९९ ४०० ४०१ ४०२
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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