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________________ दसवां उद्देशक] [४३७ नवमी के दिन भोजन और पानी की नव-नव दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। दसमी के दिन भोजन और पानी की दस-दस दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। ग्यारस के दिन भोजन और पानी की ग्यारह-ग्यारह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। बारस के दिन भोजन और पानी की बारह-बारह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। तेरस के दिन भोजन और पानी की तेरह-तेरह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। चौदस के दिन भोजन और पानी की चौदह-चौदह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। पूर्णिमा के दिन भोजन और पानी की पन्द्रह-पन्द्रह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। कृष्णपक्ष प्रतिपदा के दिन भोजन और पानी की चौदह-चौदह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। द्वितीया के दिन भोजन और पानी की तेरह-तेरह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। तीज के दिन भोजन और पानी की बारह-बारह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। चौथ के दिन भोजन और पानी की ग्यारह-ग्यारह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। पांचम के दिन भोजन और पानी की दश-दश दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। छठ के दिन भोजन और पानी की नव-नव दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। सातम के दिन भोजन और पानी की आठ-आठ दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। आठम के दिन भोजन और पानी की सात-सात दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। नवमी के दिन भोजन और पानी की छह-छह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। दसमी के दिन भोजन और पानी की पांच-पांच दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। ग्यारस के दिन भोजन और पानी की चार-चार दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। बारस के दिन भोजन और पानी की तीन-तीन दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। तेरस के दिन भोजन और पानी की दो-दो दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। चौदस के दिन भोजन और पानी की एक-एक दत्ति ग्रहण करना कल्पता है। अमावस के दिन वह उपवास करता है। इस प्रकार यह यवमध्यचन्द्रप्रतिमा सूत्रानुसार यावत् जिनाज्ञा के अनुसार पालन की जाती है। २. वज्रमध्यचन्द्रप्रतिमा स्वीकार करने वाला अनगार एक मास तक शरीर के परिकर्म से तथा शरीर के ममत्व से रहित होकर रहे और जो कोई परीषह एवं उपसर्ग हो यावत् उन्हें शांति से सहन करे। वज्रमध्यचन्द्रप्रतिमा स्वीकार करने वाले अणगार को, कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के दिन पन्द्रह-पन्द्रह दत्तियां भोजन और पानी की लेना कल्पता है यावत् देहली को पैरों के बीच में करके दे तो उससे आहार लेना कल्पता है। द्वितीया के दिन भोजन और पानी की चौदह-चौदह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। तीज के दिन भोजन और पानी की तेरह-तेरह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है।
SR No.003463
Book TitleTrini Chedsutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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