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68. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the earth near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
69. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the earth moistened by water near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
70. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the earth mixed with gravel near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
71. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the earth mixed with clay near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
72. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the earth near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
73. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the stone near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
74. A bhikkhu who makes a woman sit or lie down on the clod of earth or stone near the Maulgama's sexual intercourse, or approves of the one who makes her sit or lie down, is guilty.
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[निशीथसूत्र
६९. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए 'ससिणिद्धाए पुढवोए' णिसीयावेज्ज वा, तुयट्टावेज्ज वा, णिसीयावेतं वा, तुयट्टावेतं वा साइज्जइ ।
७०. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए 'ससरक्खाए पुढवीए' णिसीवावेज्ज वा, तुयट्टावेज्ज वा, णिसीयावेतं वा, तुयट्टावेतं वा साइज्जइ । .
____७१. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए 'मट्टियाकडाए पुढवीए' णिसीयावेज्ज वा, तुयट्टावेज्ज वा, णिसीयावेतं वा, तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ ।
७२. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडिवाए 'चित्तमंताए पुढवीए' णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा, णिसीयावेतं वा, तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ।
७३. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए 'चित्तमंताए सिलाए' णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा, णिसीयातं वा, तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ।
___७४. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए 'चित्तमंताए लेलुए' णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा, णिसीयावेतं वा तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ ।
७५. जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठीए; सअंडे, सपाणे, सबीए, सहरिए, सओसे, सउदए, सउत्तिगपणग-दग-मट्टिय-मक्कडासंताणए णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेतं वा तुयट्टावेतं वा साइज्जइ ।
६८. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त पृथ्वी के निकट की भूमि पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है।
६९. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त जल से स्निग्ध भूमि पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है।
७०. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त रजयुक्त भूमि पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है ।
७१. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त मिट्टीयुक्त भूमि पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है।
७२. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त पृथ्वी पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है ।
७३. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त शिला पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है ।
७४. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से सचित्त मिट्टी के ढेले पर या पत्थर पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बिठाने वाले का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है।
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