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________________ पहले ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीन देव माने गये और उसके पश्चात् तेतीस प्रधान देव माने गये। फिर अक्षपाद आदि ने देवों की संख्या तेतीस करोड़ मानी । इस प्रकार देवों के तथा स्वर्ग के संबंध में वैदिक परम्परा के महर्षियों की धारणा रही है । ५ गहराई से अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इन धारणाओं में समय-समय पर परिवर्तन और विकास हुआ है। यह स्पष्ट है कि भारतीय साहित्य में देव और देवलोक की चर्चाएँ अतीतकाल से ही थीं। जैन परम्परा के वाङ्मय में उसका जो व्यवस्थित क्रम मिलता है, उतना व्यवस्थित क्रम न बौद्ध परम्परा के सहित्य में है और न ही वैदिक परम्परा के साहित्य में । कल्पावतंसिका उपांग में श्रेणिक के दस पौत्रों की कथाएँ हैं, जिन्होंने अपने सत्कृत्यों से स्वर्ग प्राप्त किया था । इसमें व्रताचरण की उपयोगिता बताई है। पिताओं के नरक में रहने पर भी पुत्रों का सत्कर्म से स्वर्गलाभ बताया गया है। पिता का जीवन पतन की ओर बढ़ा और पुत्रों का जीवन उत्थान की ओर । पुरुषार्थ से व्यक्ति अपने जीवन के नक्शे को बदल सकता है, यह इस उपांग में स्पष्ट किया गया है। श्रमण भगवान् . महावीर और तथागत बुद्ध के समय मगध में एकतन्त्रीय राज्यप्रणाली थी । यह आगम उस युग की सामाजिक स्थिति को जानने के लिये अत्यन्त उपयोगी है। पुफिया : पुष्पिका तृतीय उपांग पुष्पिका है। इस उपांग में भी चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिक, पूर्णभद्र, दत्त, शिव, बल और अनादृत, ये दस अध्ययन हैं। प्रथम अध्ययन में वर्णित है भगवान् महावीर एक बार राजगृह में विराज रहे थे। उस समय ज्योतिष्क इन्द्र चन्द्र भगवान् के दर्शन हेतु आया। उसने विविध प्रकार के नाट्य किये। गणधर गौतम की जिज्ञासा पर भगवान् ने उसके पूर्व भव का कथन किया। इसी प्रकार दूसरे अध्ययन में सूर्य के भगवान् के समवसरण में विमान सहित आगमन, नाट्य विधि और भगवान् का पूर्वभवकथन आदि का वर्णन है । - तीसरे अध्ययन में शुक्र महाग्रह का वर्णन है । इस अध्ययन में भगवान महावीर के दर्शन हेतु शुक्र आया और पूर्ववत् नाट्यविधि दिखाकर पुनः अपने स्थान पर लौट गया। भगवान् ने उसके पूर्वभव का कथन करते हुये कहा यह वाराणसी में सोमिल नामक ब्राह्मण था । वेदशास्त्रों में निष्णात था। एक बार भगवान् पार्श्व वाराणसी पधारे। सोमिल, भगवान् पार्श्व के दर्शन हेतु गया और उसने भगवान् से प्रश्न किये भगवन्! आपकी यात्रा है ? आपके यापनीय है ? सरिसव, मास और कुलत्थ भक्ष्य हैं या अभक्ष्य ? आप एक हैं या दो हैं ? इन सभी प्रश्नों का उत्तर भगवान् ने स्याद्वाद की भाषा में दिया । - यहाँ पर यह स्मरण रखना चाहिये कि यह सोमिल जिसने भगवान् पार्श्व से प्रश्न किये और भगवती सूत्र के १८वें शतक के १० वें उद्देशक में वर्णित सोमिल ब्राह्मण, जिसने इसी प्रकार के प्रश्न भगवान् महावीर से किये थे, दोनों दो भिन्न व्यक्ति थे। क्योंकि भगवान् पार्श्व से प्रश्न करने वाला सोमिल ब्राह्मण वाराणसी का था और महावीर से प्रश्न करने वाला सोमिल ब्राह्मण वाणिज्यग्राम का था। काल व घटना की दृष्टि से भी ६५. हिन्दू धर्म कोश, डा. राजबली पाण्डेय पृ. ३२६, देवता शब्द [२८]
SR No.003461
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
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