SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परम्परा में अजातशत्रु अपने पिता के पैरों को छिलवाता है और उसमें नमक भरवाकर अग्नि से सेक करवाता है। यह है उसका दानवीय रूप। जैन परम्परा में श्रेणिक को कृणिक के द्वारा कारागृह में डालने की बात तो कही है पर पिता को अमानवीय तरीके से क्षुधा से पीड़ित कर मारने की बात नहीं कही। जैन दृष्टि से श्रेणिक ने स्वयं ही मृत्यु को वरण किया तो बौद्ध परम्परा में श्रेणिक अपने पुत्र अजातशत्रु द्वारा मरवाया गया।२४ महाशिला कंटक संग्राम पिता की मृत्यु के पश्चात् कूणिक राज्य का संचालन करने लगा। उसका सहोदर लघु भ्राता वेहल्ल कुमार था। सम्राट श्रेणिक ने अपने पुत्र वेहल्ल कुमार को सेचनक हाथी और अठारहसरा हार दिया था, जिसका मूल्य श्रेणिक के पूरे राज्य के बराबर था।२५ प्रस्तुत आगम में हार और हाथी का प्रसंग वेहल्ल कुमार के साथ बताया गया है जबकि भगवती सूत्र की टीका, निरयावलिका की टीका, भरतेश्वरबाहुबलि वृत्ति प्रभृति ग्रन्थों में हल्ल और वेहल्ल इन दोनों के साथ इस घटना को जोड़ा गया है। अनुत्तरोपपातिक में वेहल्ल और वेहायस को चेलना का पुत्र बताया गया है और हल्ल को धारिणी का पुत्र। निरयावलिका वृत्ति और भगवती वृत्ति में हल्ल और वेहल्ल को चेलना का पुत्र लिखा है। आगम मर्मज्ञों को इस संबंध में स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता है। कृणिक ने अपना राज्य ग्यारह भागों में बांटा था। कालकुमार, सुकाल कुमार आदि भाइयों को राज्य का हिस्सा दिया था, पर हल्ल, वेहल्ल को नहीं। वेहल्ल कुमार सेचनक हस्ती पर आरूढ़ होकर अपने अन्तःपुर के साथ गंगा नदी के तट पर जलक्रीड़ा के लिये जाता है। उसकी आनन्दक्रीड़ा को निहार कर कूणिक की पत्नी पद्मावती के मन में हार-हाथी प्राप्त करने की भावना जागृत हुई। उसने पुनः-पुनः कूणिक को कहा कि हार-हाथी भाई से प्राप्त करो। कृणिक ने तब वेहल्ल को बुलाकर कहा – मुझे हार-हाथी दे दो। उसने कहा – मुझे ये दोनों पिता ने दिये हैं। वेहल्ल कुमार को लगा - कूणिक मुझसे हार-हाथी छीन लेगा। अतः वह कूणिक के भय से अपनी वस्तुओं को लेकर अपने नाना चेटक के पास वैशाली पहुंच गया। कूणिक को जब ज्ञात हुआ तो उसने दूत भेजा। चेटक ने कहा - शरणागत की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। यदि कूणिक हार और हाथी के बदले आधा राज्य दे तो हम हार और हाथी लौटा सकते हैं। कणिक को यह संदेश प्राप्त हुआ तो उसे अत्यन्त क्रोध आया। वह अपने दसों भाइयों की सेना को लेकर वैशाली पहुंचा। कूणिक की सेना में तेतीस सहस्र हस्ती, तेतीस सहस्र अश्व, तेतीस सहस्र रथ और तेतीस करोड़ पदाति थे। ___ राजा चेटक ने नौ मल्लकी, नौ लिच्छवी, इन अट्ठारह काशी-कौशल राजाओं को बुलाकर उनसे परामर्श किया। सभी ने कहा – शरणागत की रक्षा करना क्षत्रियों का कर्तव्य है। वे सभी युद्ध के मैदान में आ गये। चेटक की सेना में सत्तावन सहस्र हाथी, सत्तावन सहस्र अश्व, सत्तावन सहस्र रथ और सत्तावन करोड़ पदाति सैनिक थे। राजा चेटक भगवान् महावीर का परम उपासक था। उसने श्रावक के द्वादश व्रत २४. धर्मकथानुयोग : एक समीक्षात्मक अध्ययन- प्रस्तावना-पृष्ठ ११७ (ले. देवेन्द्रमुनि शास्त्री) २५. आवश्यकचूर्णि, उत्तरार्द्ध, पत्र १६७ [२०]
SR No.003461
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy