SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्रहण किये थे। उसने एक विशेष नियम भी ले रखा था कि मैं दिन में एक ही बार बाण चलाऊँगा । उसका बाण कभी भी निष्फल नहीं जाता था । २६ प्रथम दिन अजातशत्रु कूणिक की ओर से काल कुमार सेनापति होकर सामने आया। उसने गरुड़ व्यूह की रचना की । भयंकर युद्ध हुआ । राजा चेटक ने अमोघ बाण का प्रयोग किया और काल कुमार जमीन पर लुढ़क पड़ा। इसी तरह एक-एक कर दस भाई सेनापति बनकर आए और वे सभी राजा चेटक के अचूक बाण से मरकर नरक में उत्पन्न हुए। उस समय भगवान् महावीर चम्पा नगरी में थे। उनकी माताओं को ज्ञात हुआ कि हमारे पुत्र युद्ध के मैदान में मर चुके हैं, अतः वे सभी आर्हती दीक्षा ग्रहण कर लेती हैं। भगवती सूत्र में उसके पश्चात् रथमूसल संग्राम और महाशिला कंटक संग्राम का उल्लेख है । ये दोनों संग्राम आधुनिक विश्व युद्ध की तरह घोर विनाशकर्त्ता थे । बौद्ध साहित्य में वैशालीनाश का प्रसंग बौद्ध साहित्य में भी यह प्रकरण कुछ भिन्न प्रकार से उल्लिखित है गंगातट के एक पट्टन के सन्निकट पर्वत में रत्नों की खान थी । २७ अजातशत्रु और लिच्छिवियों में यह समझौता हुआ था कि आधे-आधे रत्न परस्पर ले लेंगे। अजातशत्रु ढ़ीला था । आज या कल करते हुये वह समय पर नहीं पहुँचता । लिच्छवी सभी रत्न लेकर चले जाते। अनेक बार ऐसा होने से उसे बहुत ही क्रोध आया पर गणतंत्र के साथ युद्ध कैसे किया जाय ? उनके बाण निष्फल नहीं जाते । २८ यह सोचकर वह हर बार युद्ध का विचार स्थगित करता रहा, पर जब वह अत्यधिक परेशान हो गया तब उसने मन ही मन निश्चय किया कि मैं वज्जियों का अवश्य विनाश करूंगा। उसने अपने महामंत्री 'वस्सकार' को बुलाकर तथागत बुद्ध के पास भेजा । २९ वज्जी - लिच्छवी - चिन्तनीय वज्जियों में सात बातें हैं तथागत बुद्ध ने कहा १. सन्निपात- बहुल हैं अर्थात् वे अधिवेशन में सभी उपस्थित रहते हैं । २. उनमें एकमत है। जब सन्निपात भेरी बजती है तब वे चाहे जिस स्थिति में हों, सभी एक हो जाते हैं । ३. वज्जी अप्रज्ञप्त (अवैधानिक) बात को स्वीकार नहीं करते और वैधानिक बात का उच्छेद नहीं करते। ४. वज्जी वृद्ध व गुरुजनों का सत्कार - सम्मान करते हैं । ५. वज्जी कुल - स्त्रियों और कुल-कुमारियों के साथ न तो बलात्कार करते हैं और न बलपूर्वक विवाह करते हैं । ६. वज्जी अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करते । ७. वज्जी अर्हतों के नियमों का पालन करते हैं, इसलिये अर्हत् उनके वहां पर आते रहते हैं। ये सात नियम जब तक वज्जियों में २६. चेटकराजस्य तु प्रतिपन्नं व्रतत्वेन दिनमध्ये एकमेव शरं मुञ्चति अमोघबाणश्च । २९. दीघनिकाय, महापरिनिव्वाणसुत्त, २/३ (१६) - निरयावलिका सटीक, पत्र ६-१ २७. बुद्धचर्या (पृष्ठ ४८४) के अनुसार - पर्वत के पास बहुमूल्य सुगन्ध वाला माल उतरता था । २८. (क) दीघनिकाय अट्ठ कथा (सुमंगल विलासिनी) खण्ड २, पृ. ५२६ (ख) Dr. B. C. Law; Budhoghosa, Page III - - [२१] (घ) हिन्दू सभ्यता, पृष्ठ ११८
SR No.003461
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy